दिलेर समाचार, नई दिल्ली:रूस में शुरू होने जा रहे फीफा विश्व कप में इस बात खिलाड़ियों को दिखाए जाने वाले रेडकार्ड की संख्या में बहुत ज्यादा इजाफा हो सकता है. पिछली बार 2014 में आयोजित हुए विश्व कप टूर्नामेंट में 32 टीमों के बीच खेले गए मैचों में केवल 10 रेड कार्ड ही दिखाए गए थे, लेकिन इस बार रूस में होने संस्करण में अगर रेड कार्डों की संख्या तीन गुना हो जाती है, तो आप चौंकिएगा बिल्कुल भी मत! नए शोध से पता चला है कि वास्तविक समय की तुलना में धीमी गति में वीडियो देखते हुए फुटबाल रेफरी परिस्थितियों को और अधिक गंभीरता से ले सकते हैं.
ऐसा माना गया है कि वीडियो का स्लो मोशन देखने के बाद वास्तविक समय की तुलना में रेफरियों द्वारा अधिक रेड कार्ड दिए गए हैं. इस शोध को कोगनिटिव रिसर्च : प्रिंसिपल्स एंड इंप्लिकेशन में प्रकाशित किया गया है. साल 2006 में सबसे अधिक 28 रेड कार्ड खिलाड़ियों को दिए गए थे. इसके बाद 2010 में 17 रेड कार्ड दिखाए गए थे. रेड और येल्लो कार्ड की संख्या को देखा जाए, तो 2006 का विश्व कप इस मामले में ऐतिहासिक था.
इसमें 1970 से लेकर 2014 तक आयोजित विश्व कप में सबसे अधिक 28 रेड कार्ड और सबसे अधिक 345 यलो कार्ड दिखाए गए थे. इसके बाद, 2010 (17 रेड कार्ड, 261 येलो कार्ड) और 2014 (10 रेड कार्ड, 187 येलो कार्ड) में रेड और येल्लो दोनों कार्डो की संख्या घटी। 1970 में केवल 52 येल्ले कार्ड दिखाए गए थे, लेकिन रेड कार्ड एक भी नहीं था. लेकिन इस बार तो आंकड़ा बहुत ऊपर जा सकता है. वजह यह है कि शुरू होने जा रहे फीफा विश्व कप में वीडियो असिस्टेंट रेफरिंग (वीएआर) प्रणाली को शामिल किया गया है. यह तकनीक और धीमी गति से एक्शन-रिप्ले को दिखाती है.
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