दिलेर समाचार, नई दिल्ली। भारतीय संगीत सदन और श्री राम सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आट्र्स की ओर से आयोजित दिल्ली के श्री शंकरलाल हॉल मॉडर्न स्कूल बाराखम्बा रोड नई दिल्ली में स्वामी हरिदास-तानसेन - संगीत-नृत्य महोत्सव 2018 का समापन हो गया है. इस महोत्सव की शुरुवात दिनांक 11 जनवरी को मिनिस्टर ऑफ़ स्टेट डॉक्टर महेश शर्मा द्वारा की गई. इस वर्ष महोत्सव में 10 हज़ार से ज्यादा दर्शकों की भीड़ देखी गई.
कार्यक्रम के पहले दिन की शुरुवात प्रसिद्ध नृत्यांगना पदम् भूषण डॉक्टर उमा शर्मा की कत्थक प्रस्तुति से हुई जिसमें उन्होंने अपने गुरु शम्भू महाराज (बिरजू महाराज के चाचाथे) लखनऊ घराना की प्रस्तुति दी और सभी को गुरु शिष्य परंपरा के बारे में बता दिया. उसके बाद शास्त्रीय संगीत गायिका कौशिकी चक्रबोर्ती के विभिन्न रगों पर आधारित बंदिशों ने दर्शकों को तले बजने पर मजबूर किया. पहला दिन पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के बांसुरी वादन का भी साक्षी बना.
कार्यक्रम के दूसरे दिन पंडित चुनीलाल मिश्राka गायन व विश्वमोहन भट्ट का मोहन वीणा वादन मुख्य रहे. आजा सो बना... राग पुरिया कल्याण पर हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक पंडित छन्नु लाल मिश्र ने पारंपरिक शास्त्रीय संगीत को जीवित रखने के उद्देश्य से अपनी प्रस्तुति से दर्शकों का दिल जीता। इसके बाद मध्य लय में बहुत दिन बीते के साथ बनारस की ठुमरी, कजरी और झूला जैसी कई मनमोहक प्रस्तुति पर अपने गायन से सभागार में मौजूद सभी लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने गायन से कुछ ऐसे रंगों को बिखेरा जिसके जादू में सभी दर्शक खो गए। उसके बाद सरोद वादक अयान अली बंगश की प्रस्तुति से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। राग देश पर उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी। सरोद के तारों पर अयान की सधी हुई उंगलियों के बीच से निकलने वाली धुनों ने दिल्लीवालों के दिलों को छू लिया। अयान अली बंगश की उंगुलियां सरोद पर जैसे र तार पकड़ रही थीं वैसे-वैसे तबले पर सत्यजीत तलवलकर की थाप बढ़ती रही। इस संगीतमयी माहौल नें लोगों को तालिया बजाने पर मजबूर कर दिया। दूसरे दिन की अंतिम प्रस्तुति पंडित विश्व मोहन भट्ट और मांगणियार ग्रुप की रही। विश्व मोहन भट्ट ने जहां मोहनवीणा वादन किया वहीं मांगणियार ग्रुप ने राजस्थानी फोक पर अपनी ‘डेजर्ट स्लाइड’ नामक अपनी प्रस्तुति से महोत्सव की शाम को रंगीन बना दिया। कई बार मोहनवीणा और खड़ताल की जुगलबंदी ने दर्शकों को अपना दिवाना बना दिया। स्वामी हरिदास-तानसेन संगीत- नृत्य महोत्सव का आयोजन सांस्कृतिक ‘पुनर्जागरण’ और संगीत लोकाचार के पुनर्जीवन के माध्यम से इन्हें जिंदा रखने की एक कोशिश है।
कार्यक्रम के तीसरे दिन भारत की जानी मानी गायिका शुबहा मुद्गल ने अपनी प्रस्तुतुइ से सभी का मन मोह लिया. शुबहा मुद्गल एक शास्त्रीय संगीत गायिका हैं जो ख्याल, ठुमरी व दादरा के अलावा इंडियन पॉप म्यूजिक के लिए भी जानी जाती हैं. वह पदम् श्री से भी नवाजी जा चुकी हैं. इसके अलावा तीसरे दिवस में उस्ताद इमदादखानी घराना के व जाने माने सितार वादक उस्ताद शुजात खान की प्रस्तुति भी अपने आप में अनूठी रहे. कार्यक्रम में मैहर में जन्मे सेनिया मैहर घराने के सरोद वादक उस्ताद आशीष खान की प्रस्तुति भी अपने आप में मन मोहक रही.
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