दिलेर समाचार, गंगा नदी के संरक्षण को लेकर पिछले 111 दिनों से अनशन कर रहे जाने - माने पर्यावरणविद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरूवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।
ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डॉ रविकांत ने बताया कि स्वामी सानंद ने आज दोपहर यहां संस्थान में अंतिम सांस ली। इस बीच, केंद्र सरकार ने कहा था कि सानंद की लगभग सारी मांगें मान ली गई थीं। ।
बुधवार को जल संसाधन एवं गंगा नदी पुनर्जीवन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल के जवाब में कहा था, ‘‘हमने (गंगा की सफाई पर) उनकी लगभग सारी मांगें मान लीं। एक मांग पर्यावरणीय प्रवाह को सुनिश्चित करने की थी और हम अधिसूचना लेकर आए हैं।’’ ।
सरकार ने मंगलवार को ई-प्रवाह संबंधी अधिसूचना जारी की थी। इसमें कहा गया है कि गंगा नदी में विभिन्न स्थानों पर न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह बनाकर रखा जाएगा। गडकरी ने कहा कि दूसरी मांग गंगा के संरक्षण के लिए कानून बनाने की थी। उन्होंने कहा कि विधेयक को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद उसे संसद में पेश किया जाएगा। ।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘उनकी कुछ मांगें (गंगा नदी पर बनने जा रही) पनबिजली परियोजनाओं से जुड़ी थीं। हम सभी पक्षों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं और मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश में हैं। मैंने उन्हें एक पत्र लिखकर कहा था कि हमने करीब 70-80 फीसदी मांगें मान ली हैं और हमें उनकी जरूरत है और उन्हें अपना अनशन खत्म करना चाहिए।’’।
सानंद के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा को लेकर उनके जुनून को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘श्री जीडी अग्रवाल जी के निधन से दुखी हूं। ज्ञान, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण, खासकर गंगा की सफाई के प्रति उनके जुनून को हमेशा याद रखा जाएगा। मेरी संवेदनाएं।’’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सानंद की मृत्यु पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने गंगा नदी के लिए अपना जीवन त्याग दिया। राहुल ने यह भी कहा कि वह अग्रवाल की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे। राहुल गांधी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, ‘‘गंगा को बचाने के लिए उन्होंने अपना जीवन त्याग दिया। नदी को बचाना देश को बचाने के समान है। हम उन्हें कभी नहीं भूलेंगे और उनकी लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे।’’ गडकरी ने सानंद के निधन को देश के लिए अपूरणीय क्षति करार दिया। उन्होंने कहा कि पर्यावरण एवं गंगा के प्रति उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा।
सानंद के निधन पर आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता 100 दिनों से ज्यादा समय से भूख हड़ताल पर थे और ‘‘असंवेदनशील सरकार उनकी मौत का इंतजार कर रही थी।’’।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने सानंद की ‘‘शहादत’’ पर दुख व्यक्त किया।
रमेश ने कहा, ‘‘वह सिर्फ निर्मल गंगा के लिए नहीं बल्कि अविरल गंगा के लिए भी अजेय योद्धा थे। मेरा सौभाग्य था कि मैंने उनके कुछ अहम सुझावों पर अमल किया ताकि उत्तराखंड में गंगा और उनकी सहायक नदियों का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित हो सके।’’।
सानंद के निधन पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि गंगा कार्यकर्ता से बेहतर सलूक होना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा लगता है कि शासक बिल्कुल अहंकारी और लोगों के प्रति बेपरवाह हो गया है। अयोध्या के महंत परमहंस दासजी के साथ भी ऐसा ही सलूक हुआ। किसानों, श्रमिकों, छात्रों, मध्यम वर्ग, सभी को अन्याय का सामना करना पड़ रहा है। हम शासकों से अपील करते हैं कि वे लोगों के प्रति संवेदनशील बनें।’’।
इससे पहले, डॉ रविकांत ने बताया कि स्वामी सानंद ने अपना शरीर एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा शिक्षा के छात्रों के उपयोग के लिए दान कर दिया था।हरिद्वार स्थित मातृ सदन में पिछले 22 जून से अनशन कर रहे स्वामी सानंद के बुधवार को जल त्यागने के बाद प्रशासन ने उन्हें ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया था। हरिद्वार जिला प्रशासन ने उनके आश्रम परिसर के चारों ओर धारा 144 लगाकर उन्हें कल जबरन उठा कर एम्स में भर्ती करा दिया था।
डॉ रविकांत ने बताया कि आज दोपहर स्वामी सानंद को दिल का दौरा पड़ा और काफी कोशिश के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।उन्होंने बताया कि स्वामी सानन्द को उच्च रक्तचाप, हर्निया के साथ - साथ कोरोनरी आर्टरी रोग भी था तथा अनशन के कारण उनकी सेहत और बिगड़ गयी थी।
गौरतलब है कि इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से आश्वासन लेकर पहुंचे हरिद्वार सांसद रमेश पोखरियाल निशंक के अनशन तोड़ने के अनुरोध को उन्होंने ठुकरा दिया था।इस बीच, गंगा संरक्षण को लेकर स्वामी सानंद के प्राण त्यागने के बाद 'मातृसदन' के प्रमुख परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद ने उनके निधन को हत्या करार दिया है और उनकी मौत की उच्च्स्तरीय जांच की मांग की है।
स्वामी सानंद ने नौ सितंबर को घोषणा की थी कि वह अक्टूबर में जल त्याग देंगे, जिसके बाद 11 सितंबर को नेशनल मिशन फॉर गंगा क्लीनिंग के निदेशक ने उनसे वार्ता की और 13 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उन्हें समर्थन दिया था।
सानंद वर्ष 2008 में उस वक्त चर्चा में आये थे, जब वह उत्तरकाशी में मणिकर्णिका घाट पर भागीरथी पर बन रही पनबिजली परियोजनाओं को तत्काल बंद करने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे। ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने सानंद के निधन पर शोक व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री ने अपने शोक संदेश में गुरूवार को कहा कि गंगा के विभिन्न मुद्दों के लिए अनशन कर रहे प्रोफेसर के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। ।
इस बीच, उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता धीरेंद्र प्रताप ने सानंद की मृत्यु की उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की है। ।कांग्रेस के मुख्य प्रचार समन्वयक धीरेन्द्र प्रताप ने भाजपा के तथाकथित गंगा प्रेम को "छलावा" करार दिया। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की लापरवाही से स्वामी सानन्द की मौत हुई।उन्होंने इस मामले की जांच उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से कराने की की मांग की है।
ये भी पढ़े: माता-पिता और बहन की हत्या के आरोपी को ऑनलाइन गेम की लत थी: पुलिस
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar