दिलेर समाचार, इंदौर । हड्डीतोड़ बुख़ार के बाद कोई कैसे कामयाबी पा सकता है, इसकी प्रेरणा तो कोई 24 वर्षीय नितिन से ले । नि:शक्तता या कोई बीमारी जीवन में बाधा नहीं बन सकती | यह बात हकीकत के रूप में साबित कर दी रेलवे के युवा पहलवान नितिन कुमार ने | जिनहोने डेंगू के डंक को तोड़ कर जीता राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप मे गोल्ड | नंदनी नगर महाविध्यालय, नवाब गंज, गोंडा यूपी में 29 नवंबर से 2 दिसंबर तक आयोजित हुई 63 वीं ग्रीको रोमन स्टाइल राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप के 60 किलोग्राम वजन वर्ग मे नितिन ने जीता गोल्ड |
नितिन राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप के ठीक एक सप्ताह पहले रेलवे प्रशिक्षण शिविर डीजल रेल इंजन कारखाना वाराणसी के दौरान डेंगू के शिकार हो गये थे | डेंगू के कारण नितिन को बुखार, सिरदर्द, त्वचा पर चेचक जैसे लाल चकत्ते तथा मांसपेशियों और जोड़ों में भयंकर दर्द था | जिसके कारण रक्त प्लेटलेट्स का स्तर भी कम हो गया था |
भारतीय रेलवे कुश्ती टिम के कोच कृपशंकर बिशनोई बताते है की नितिन का हाल डेंगू से बेहाल था | डेंगू की वजह से उनका वजन सात से आठ किलो कम हो चुका था, 63 किलोग्राम वजन समूह में खेलने वाले नीतिन का वजन 58 किलो रह गया था | राष्ट्रीय चैम्पियनशिप के दौरान चलने में भी दिक्कत महसूस करते दिखे, बावजूद इसके बीमारी से लड़ते हुए और प्रतिस्पर्धा के लिए संघर्ष करते हुए 60 किलोग्राम ग्रीको रोमन की नेशनल लेवल पर आयोजित इस कुश्ती चैम्पियनशिप में उन्होने एक से बढ़ कर एक धुरंधर पहलवानों को पछाड़ते हुए रेलवे टिम के लिए गोल्ड जीत लाये |
बिशनोई कहते है की मेरे ख्याल से भारत में ऐसा पहली मर्तबा हुआ होगा जब कोई पहलवान डेंगू की बीमारी के साथ गोल्ड जीता हो | वह कहते है की नितिन अपने जुनून के प्रति मजबूत बने रहे और उनके इन सभी त्यागों का फल उन्हें सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैम्पियनशिप के स्वर्ण पदक के रूप में मिला | खेलों में और जीवन में इच्छाशक्ति ही सब कुछ है । कभी हार मत मानो |
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