दिलेर समाचार, मंदसौर। पशुपतिनाथ मंदिर, रावण की पत्नी मंदोदरी का मायके के साथ ही कुबेर की मूर्ति के लिए भी मंदसौर ख्यात है। विश्व में कुबेर की दो ही मूर्तियां हैं। एक केदारनाथ और दूसरी यहां। हर धनतेरस पर यहां विशेष आराधना होती है।
शहर से सटे खिलचीपुरा में स्थित 1200 वर्ष पुराने धौलागढ़ महादेव मंदिर मेें सातवीं शताब्दी की भगवान कुबेर की प्राचीन मूर्ति स्थापित है। बताया जाता है कि श्री केदारनाथ के बाद मंदसौर में धौलागढ़ महादेव मंदिर में ही शिव पंचायत में भगवान कुबेर विराजित हैं। पुरातत्व विभाग के अधीन आने वाले इस मंदिर के जीर्णोद्धार की तैयारी भी की जा रही है। जल्द ही इसके लिए भोपाल से टीम आएगी।
बड़ा पेट और दाहिने हाथ में थैली से 1978 में हुई पहचान
पुरातत्व विभाग के डॉ. कैलाश शर्मा के अनुसार यहां स्थापित भगवान कुबेर की मूर्ति उत्तर गुप्तकाल में सातवीं शताब्दी में निर्मित है। मराठाकाल में धौलागिरी महादेव मंदिर के निर्माण के दौरान इसे गर्भगृह में स्थापित किया गया था। मंदिर में भगवान गणेश व माता पार्वती की मूर्तियां भी हैं। 1978 में इस मूर्ति की पहचान हुई। इसमें कुबेर बड़े पेट वाले, चतुर्भुजाधारी, सीधे हाथ में धन की थैली और दूसरे में प्याला धारण किए हुए हैं। नर वाहन पर सवार इस मूर्ति की ऊंचाई लगभग तीन फीट है।
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