सुभाष शिरढोनकर
दिलेर समाचार, ’दम लगा के हईशा’ (2015) के जरिये आयुष्मान खुराना के अपोजिट बॉलीवुड में अपनी पारी की शुरूआत करने वाली भूमि पेडनेकर, सुशांत सिंह राजपूत के अपोजिट अभिषेक चौबे की ’सोन चिरैया’ कर रही हैं। यह चंबल के डकैतों पर आधारित है। इस फिल्म की स्क्रिप्ट सुनते ही भूमि ने फौरन इसके लिए हां कह दिया था।
’सोन चिरैया’ में सुशांत सिंह राजपूत और भूमि पेडनेकर, दोनों डकैत की भूमिकाओं में नजर आएंगे। इस फिल्म के जरिये भूमि पेडनेकर पहली बार दर्शकों को एक्शन अवतार में नजर आएंगी। भूमि इस फिल्म और खासकर अपने किरदार को लेकर बेहद उत्साहित है। इसमें मनोज बाजपेयी, आशुतोष राणा और रणवीर शौरी भी नजर आएंगे।
अब तक चंबल के डाकुओं के जीवन पर जितनी भी फिल्में बनी हैं, उनमें डकैतों को सिर्फ डकैती डालते या खून खराबा करते ही दिखाया गया है। पहली बार इस फिल्म के जरिये अभिषेक चौबे डाकुओं के जीवन के दूसरे पहलू को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
भूमि पेडनेकर अब तक ’दम लगा के हईशा’ (2015), ’टॉयलेटःएक प्रेमकथा’ (2017), और ’शुभ मंगल सावधान’ (2017), जैसी फिल्में कर चुकी हैं। ’दम लगा के हईशा’ (2015) में भूमि ने एक मोटी महिला का किरदार निभाया। ’टॉयलेटः एक प्रेमकथा’ (2017) में वह एक जिंदादिल लड़की के बेहद खूबसूरत किरदार में थीं।
भूमि पेडनेकर की शुरूआती तीनों फिल्में, अच्छी खासी हिट साबित हुईं। ’सोन चिरैया’ उनकी चौथी फिल्म है। भूमि, ’इश्किया’ और ’ओमकारा’ के वक्त से अभिषेक चौबे की बहुत बड़ी फैन रही हैं और उनके साथ काम करते हुए वह बेहद उत्साहित हैं।
भूमि पेडनेकर, फैशन को काफी अहमियत देती हैं। सजना संवरना और खुद पर गुमान करना उन्हें काफी पसंद है लेकिन सिल्वर स्क्रीन पर अब तक वो सीधी सादी घरेलू लड़की के किरदार में ही नजर आती रही हैं। इस तरह की लीक से हटकर फिल्में चुनकर भूमि पेडनेकर ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग जगह बनाई है।
एक अभिनेत्राी के तौर पर भूमि हर तरह के किरदार और फिल्में करना चाहती है। 2017 में दो दो हिट देने के बाद भूमि पेडनेकर का नाम साल की सबसे ज्यादा कामयाबी एक्ट्रेसों में शुमार किया गया।
जिस वक्त भूमि पेडनेकर ने अपने कैरियर की शुरूआत की, वह शरीर और डील डौल से कुछ अधिक भारी थीं लेकिन अब उन्होंने अपना शारीरिक वजन कम करते हुए टेलेंट में वजन पैदा कर लिया है।
भूमि की ख्वाहिश है कि वह सिर्फ हीरोइन ओरियंटेड फिल्मों में ही काम करें। उनका कहना है कि वह खुद को खुश किस्मत मानती है कि उन्होंने ऐसे वक्त फिल्मों में कदम रखा जब यहां अच्छे सिनेमा का दौर शुरू हो चुका है, और व्यापक स्तर पर हीरोइन ओरियंटेड फिल्में भी बनने लगी हैं।
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