दिलेर समाचार, हॉकी के खेल में 'बादशाहत' पर आधारित बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'गोल्ड' 15 अगस्त को रिलीज होने वाली है.देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस फिल्म में स्वतंत्र भारत के लिए 'गोल्ड' जीतने का सपना देखने वाले एक ऐसे शख्स की जिंदगी को पेश किया गया है, जो इंग्लैंड के गुरूर को चूर करने की इच्छा रखता है. फिल्म का टीजर रिलीज किया जा चुका है. फिल्म में अक्षय कुमार एक बंगाली व्यक्ति तपन दास के रोल में नजर आएंगे जो भारतीय टीम को इस जीत के लिए प्रेरित करते हैं. वर्ष 1948 में भारत ने ब्रिटेन को हराकर ओलिंपिक खेलों को गोल्ड मेडल जीता था और देश के महान हॉकी खिलाड़ी बलबीर सिंह देश के लिए गौरव का क्षण हासिल करने वाली टीम के सदस्य थे. स्वतंत्र भारत ने 70 साल पहले लंदन में ब्रिटेन को हराकर हॉकी में पहला ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीता था. देश की हॉकी के लिहाज से 'मील का पत्थर' बने उन लम्हों को याद करते बलबीर सिंह सीनियर बेहद भावुक हो गए.
बलबीर सिंह सीनियर ने कहा कि इस जीत के बाद देशभक्ति के अहसास से गदगद हो गए थे. उन्होंने कहा, ‘यह 70 साल पहले हुआ था लेकिन यह कल की ही बात लगती है. मुझे अब भी वे लम्हें याद हैं जब 1948 ओलिंपिक में भारतीय ध्वज फहराया गया था जब हमने ब्रिटेन को 4-0 से शिकस्त दी थी.’बलबीर सीनियर ने कहा, ‘हमारा राष्ट्र गान चल रहा था और तिरंगा ऊपर जा रहा था, मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं भी ध्वज के साथ उड़ रहा हूं. मुझे देशभक्ति का जो अहसास उस समय हुआ था, उसकी तुलना दुनिया की किसी अन्य अहसास से नहीं की जा सकती है.’
तीन बार ओलिंपिक स्वर्ण पदक जीतने वाले 94 वर्षीय बलबीर ने शुरुआत गोलकीपर के तौर पर की थी और फिर वह फुल बैक के बाद सेंटर फारवर्ड बने. उन्होंने कहा कि यह जीत इसलिये भी विशेष थी क्योंकि यह उनके खिलाफ थी जिन्होंने भारत पर राज किया था. उन्होंने तिरंगा फहराने के बाद की बात को याद करते हुए कहा, ‘इंग्लैंड पर जीत और वह भी उनकी सरजमीं पर हासिल करना हम सभी के लिए गौरव का क्षण था जिन्होंने एक साल पहले तक भारत पर लंबे समय तक राज किया था.’ इस पूर्व हॉकी खिलाड़ी ने कहा, ‘मुझे अब भी याद है मैच शुरू होने से पहले वेम्बले स्टेडियम इंग्लैंड के प्रशंसकों की आवाज से गूंज रहा था.हमने शुरुआती बढ़त बनाई और फिर एक और गोल किया. बस फिर क्या था, हाफ टाइम के बाद इंग्लैंड के कुछ प्रशंसकों ने भी भारत का समर्थन करना शुरू कर दिया. वे कह रहे थे कि इन्हें आधा दर्जन गोल कर दो.’बलबीर सिंह ने कहा कि 12 अगस्त 1948 स्वतंत्र भारत के खेल इतिहास का सबसे बड़ा दिन था.
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