दिलेर समाचार, राजीव नामदेव। आजकल समय ही ऐसा आ गया है कि हर दूसरा आदमी तनाव से पीडि़त है। यदि आप तनावग्रस्त हैं तो आप निम्न सुझावों पर अवश्य अमल करें। आपको शीघ्र ही तनाव से मुक्ति मिल जायेगी। सर्वप्रथम तो अपने आप को कभी कमजोर न समझें। अपनी छोटी से छोटी सफलता को भी याद रखें एवं स्वयं को शाबाशी दीजिए। इन छोटी सफलताओं से गर्वित न हांे बल्कि अपने अंदर आत्मविश्वास को बढ़ाते जाएं। अपना आत्मविश्वास कभी कमजोर न होने दें। एक लम्बे समय बाद परिणाम देने वाले कार्यो के साथ-साथ शीघ्र फल देने वाले कार्यों को भी करते रहिए जिसके फलस्वरूप आप तनाव से बचे रहेंगे। इससे खुशी कायम रहती है और आत्मविश्वास को बल मिलता रहता है।
किसी भी कार्य को टालने या न करने के बहाने करना वास्तव में तनाव को अपने पास बुलाने के समान है। किसी भी कार्य के असफल एवं गलत होने पर दूसरों को दोष नहीं देना चाहिए। स्वयं में गलती ढूंढनी चाहिए कि हम से गलती कहां पर हो गयी। पुनः उसी कार्य को सही ढंग से प्रारम्भ करना चाहिए क्योंकि दूसरों में दोष तलाशने की आदत स्वयं की असफलता की ओर ही धकेलती है जिसका परिणाम यह होता है कि कि आपको तनाव का सामना करना पड़ता है। भविष्य की चिंता अधिक न करें। वर्तमान में ही जीना सीखें। वर्तमान से पीछे भागना एवं भविष्य की चिंता करना तनाव को आमंत्राण देना ही है। कभी भी जल्दबाजी में बिना परिणाम सोचे गये किसी भी कार्य के लिए हां करना या बिना सोचे विचारे करना जानबूझकर मुसीबत को मोल लेने के समान है, जिसके परिणामस्वरूप असफलता मिलने पर तनाव का सामना करना पड़ता है।
हमें उन्हीं बातों एवं कार्यों के बारे में ही सोचना चाहिए जो हमारे बस में हों और जिन्हें हम कर सकते हैं। किसी प्राकृतिक विपदा, भय एवं अपनी मृत्यु के बारे में सोच-सोच कर तनावग्रस्त न हों। स्वस्थ रहकर परेशानी को झेलना व समस्याओं से जूझने की क्षमता अपने आप में पैदा करें। क्रोध तनाव का सबसे प्रमुख हथियार है इसलिए जहां तक संभव हो, अपने क्रोध पर काबू रखने का प्रयास करते रहें। क्रोध पर काबू करने के लिए आप अपना ध्यान उस बात पर से हटा लें जिसके कारण आपको क्रोध आया हो और कोई भी अपना रूचिपूर्ण कार्य करने लगें जैसे संगीत सुनना, घूमने फिरने बाहर जाना आदि, अपना ध्यान दूसरे कार्यों में लगा दे
जिससे आपको तुरंत क्रोध से मुक्ति मिल जायेगी और आपके तनाव की समस्या अपने आप हल हो जायेगी। मनोचिकित्सकों का कहना है कि तनाव की स्थिति उत्पन्न होने पर हाथ रखकर बैठे रहना तनाव को और अधिक बढ़ाना है, अतः तनाव के मुख्य कारण जानकर उससे मुकाबला करने का दृढ़ निश्चय शक्ति स्रोत बढ़ाता है और इसी से हमें सफलता की प्राप्ति होती है
अनिश्चितता, अकर्मण्यता को जन्म देती है पूरा जीवन इससे बचने के लिए सदैव गतिशील रहना चाहिए। किसी कार्य की योजना बनाकर उस पर अमल करना केवल दिवास्वप्न देखते रहना अंत में तनाव का कारण बन जाता है, अतः अपनी शक्ति, सामर्थ्य एवं योजना अनुसार कार्य क्षेत्रा चुनकर उसमें जुट जाने से ही सफलता मिलती है।
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