गर्भ उपनिषद में स्त्री-पुरुष के संबंध बनाने से लेकर किस प्रकार से मां के गर्भ में शिशु का जन्म होता है, कैसे वह समय के साथ विकसित होता है और गर्भ के भीतर 9 महीने तक वह क्या सोचता है, इसके बारे में बताया गया है।
इतना ही नहीं, इस महान ग्रंथ में यह तक बताया गया है कि किस प्रकार से एक किन्नर की उत्पत्ति होती है। किन हालातों में मां के गर्भ से एक किन्नर का जन्म होता है, इस बात के रहस्य को गर्भ उपनिषद में उजागर किया गया है।
लेकिन आज हम ‘गर्भ संस्कार’ में दिए गए कुछ निर्देशों के बारे में बताएंगे। ये ऐसे निर्देश हैं जो बताते हैं कि पति-पत्नी को किस दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए।
दरअसल यदि पति-पत्नी संतान प्राप्ति के लिए संभोग कर रहे हैं, तो उन्हें किस दिन एक-दूसरे से दूर रहना चाहिए, इसके बारे में गर्भ संस्कार में जानकारी प्रदान की गई है।
गर्भ संस्कार के अनुसार यदि शुभ दिन पर एक स्त्री गर्भधारण करे, तो आने वाली संतान भी मानसिक एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गुणी भी होती है। लेकिन अशुभ दिन पर गर्भधारण करने से सभी अशुभ ग्रहों का असर होने वाली संतान पर होता है। फिर पैदा होने के बाद ऐसी संतान एक के बाद एक परेशानियां खड़ी करती है।
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