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महत्वपूर्ण है बच्चों के विकास में मां-बाप का योगदान

Posted at: Nov 17 , 2017 by Dilersamachar 10012

दिलेर समाचार, घनश्याम प्रसाद साहू बच्चे को बच्चा मानकर उनके साथ मनमर्जी करना, उसकी कमजोरी का फायदा उठाना, उसे मूर्ख बनाने की कोशिश करना-ये सभी बातें बच्चों के प्रति अन्याय हैं। बच्चा छोटा अवश्य है परन्तु है तो सम्पूर्ण मनुष्य। वह सब जानता है और सब कुछ समझता है। उसे आप बहला कर अपना काम निकाल तो सकते हैं लेकिन उसे बदल नहीं सकते।

विशेषतः किशोरों में माता-पिता के प्रति अवहेलना की प्रवृत्ति पाई जाती है। यह प्रवृत्ति डांट-फटकार का नतीजा है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बच्चे को कुछ बन सकने के लिए मां-बाप की सूझ बूझ और प्यार की बेहद जरूरत है। मां-बाप को चाहिए कि बच्चों को प्यार दें, दूसरों से मिलने की आजादी दें। किसी समस्या में उलझ जायें तो भी प्यार और प्रोत्साहन में कमी न होने दें। बच्चे को अकेलेपन का अहसास न होने पाये। भय, आतंक और निराशा उसे छूने न पाये। आत्मविश्वास को जगाये रखने का प्रयास जारी रखें और धैर्य से बच्चे को समझा जाये तो बच्चे कभी भूल न करेंगे। न वे डरेंगे और न ही छल-कपट करेंगे।

बच्चे को अपनी इच्छानुसार ढालना तभी संभव है जब माता-पिता समझदारी से काम लें और बच्चों के भावनात्मक निर्माण को अपनी जिम्मेदारी समझें। ऐसा न हो कि बच्चे को खिला पिला कर मोटा करने की बात तक ही हम सीमित रह जायें और उनके नैतिक, बौद्धिक तथा भावनात्मक विकास की ओर ध्यान ही न दें। समय रहते मां-बाप को अपनी भूल चूक सुधार लेनी चाहिए। 

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