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त्रिपुरा में मंत्री के बयान को लेकर हुआ विवाद कहा...

Posted at: Jul 6 , 2018 by Dilersamachar 10234

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: असम, त्रिपुरा, महाराष्ट्र, गुजरात, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, ओडिशा ऐसे कई राज्यों में लोगों को पीट-पीट कर मारने की घटनायें और हिंसा की घटनाएं लगातार हो रही हैं और सोशल मीडिया पर फैली अफवाह इसके पीछे बड़ा कारण है. केंद्र सरकार ने इससे निबटने और सख़्त कदम उठाने की बात कही है. रोजाना भड़काऊ संदेशों से भड़कती भीड़ बेगुनाहों को पीट-पीट कर मारने पर उतारू है, लेकिन हद तब हो जाती है जब ऐसे लोग फेक न्यूज को बढ़ावा देते हैं जिन पर कानून की हिफाजत की जिम्मेदारी है. त्रिपुरा के शिक्षामंत्री ने हाल में ऐसा ही काम किया, जिसका अंजाम बहुत ही गंभीर हुआ. वहीं केन्‍द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद दिल्ली में कहते है कि सरकार फेक न्यूज से लड़ने के लिये कमर कस रही है, लेकिन त्रिपुरा में बीजेपी सरकार के मंत्री फेक न्यूज को शह देते दिखे. 


त्रिपुरा की हाल में हुई हिंसा एक फेक न्यूज़ से ही जुड़ी है, जिसमें कहा गया कि 10 दिन पहले 11 साल के बच्चे की किडनी पाई गई जो उसके शरीर से निकाली गई थी. पुलिस कहती है कि ये सच नहीं है, लेकिन राज्य के शिक्षा मन्त्री जब मौके पर पहुंचे तो इसी बात को आगे बढ़ाते दिखे. त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि मुझे लोकल लोगों ने बताया कि शव पर दो कट लगे थे जहां से गुर्दे निकाले गये ये भयानक है. मंत्री के बयान के 48 घंटे के भीतर इस फेक न्यूज़ ने 4 लोगों की जान ले ली, क्योंकि उनके बयान को स्थानीय अख़बारों ने छापा और उसकी वीडियो क्लिप वाइरल हो गई. मन्त्री जी बयान पुलिस की एडवाइजरी के उलट था, जिसमें कहा गया है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला है कि किडनी और लीवर शरीर के भीतर ही थे. जब एनडीटीवी ने संपर्क किया तो मंन्त्री जी ने अपने राजनीतिक विरोधियों पर निशाना साध दिया.  
विडम्बना ये है कि इस अफवाह में जिन 4 लोगों की जान गई. उनमे से एक कलाकार सुकांत चक्रवर्ती जो इस वीडियो में पिटते दिख रहे हैं. वो सरकार के कहने पर फेक न्यूज के खिलाफ जागरूकता फैला रहे थे. इस मामले में 20 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. सरकार भले ही फेक न्यूज से लड़ने की बात करे लेकिन पहले उसे अपने मंत्रियों पर लगाम लगानी होगी जो गैर जिम्मेदाराना बयान देते हैं.



फेक न्यूज की बीमारी जानलेवा बनती जा रही है. अलग-अलग तरह से फेक विडियो नफरत फैलाने के लिए बांटे जा रहे है.

- 1 जुलाई को भीड़ ने 5 लोगों को मार डाला और पुलिस कहती है कि इसके पीछे ये फेक वीडियो है. ये क्लिप जिसे एक न्यूज़ रिपोर्ट की तरह पेश किया गया. मराठी में की गई कमेंट्री में चेताया गया कि 4 बुर्काधारी आदमी बच्चों को अगवा करने की कोशिश कर रहे हैं. न केवल ये क्लिप नकली है बल्कि पुलिस कहती है कि बच्चों को उठाने की कोई घटना नहीं हुई है. लेकिन सच यही है कि इस अफवाह के चलते 5 लोगों की जान चली गई. उधर, यहां से कुछ दूर मालेगांव में दो लोग फिर फेक न्यूज़ की वजह से पिटे लेकिन बाल-बाल बच गये. - ब्रीद में हिंदी में कमेंट्री के साथ मरे हुये बच्चों का वीडियो भी धूले में फैलाया जा रहा है. ये कहते हुये कि अगवा करने वालों ने इनके ऑर्गन बेच डाले. इसमें सुनाई दे रही आवाज़ में अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है और वीडियो को शेयर करने के लिये कहा जा रहा है. दरअसल इस वीडियो में सीरिया की तस्वीर इस्तेमाल की गई है और भारत से इसका कुछ लेना देना नहीं है. ये 2013 में सीरिया में किये गये नर्व गैस अटैक की तस्वीर है, जो बच्चे दिख रहे हैं वो सीरिया के हैं. हमने उस वक्त भी रिपोर्ट की थी क्योंकि पाकिस्तान में एक बच्चे को अगवा करने का वीडियो है जो काफी प्रचलित हो चुका है. ये दोनों वीडियो साथ साथ चल रहे हैं. 

हरकत में व्हाट्सऐप! 
- हर फॉरवर्ड मैसेज पर लिखा होगा यह फॉरवर्ड है 
- एडमिन तय कर पाएगा, कौन मैसेज भेज सकता है कौन नहीं 
- मार्क स्पैम फीचर का विकल्प लाया जाएगा 
- अधिकांश लोग स्पैम मार्क करेंगे तो मैसेज ब्लॉक होगा 
- क़रीब 25 फीसदी लोग किसी ग्रुप में नहीं हैं 
- अधिकांश ग्रुप छोटे, जिसकी सदस्य संख्या 10 से भी कम

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