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INX Media Case: बतौर आरोपी FIR में नहीं है चिदंबरम का नाम, फिर भी बढ़ रही है उनकी मुसिबत

Posted at: Aug 23 , 2019 by Dilersamachar 9690

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: आईएनएक्स मीडिया मामला कंपनी के प्रमोटर पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी द्वारा विदेशी निवेश मंजूरी पाने के लिए रिश्वत के आरोपों से संबंधित है. पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी दोनों ही इंद्राणी की पहले विवाह से हुई बेटी की कथित रूप से हत्या करने के लिए जेल में बंद हैं. सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया मामले में ही पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री पी चिदंबरम (P Chidambaram) को गिरफ्तार किया है. आईएनएक्स मीडिया की स्थापना 2006 में पीटर मुखर्जी और उनकी पत्नी इंद्राणी द्वारा की गई थी. दोनों ने 13 मार्च 2007 को एक विदेशी निवेश प्रस्ताव की मंजूरी के लिए एक आवेदन किया था. आवेदन विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के अध्यक्ष को किया गया था. एफआईपीबी उस समय एक अंतर-मंत्रालयी निकाय था जो विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रस्तावों की समीक्षा करने के लिए जिम्मेदार था.

एफआईपीबी की अध्यक्षता आर्थिक मामलों के सचिव करते थे और इसमें अन्य स्थायी सदस्य थे, जिसमें औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग (डीआईपीपी), वाणिज्य, विदेश मंत्रालय में आर्थिक संबंध और प्रवासी भारतीय मामलों के सचिव शामिल थे. कंपनी ने 4.62 करोड़ रुपये के एफडीआई का प्रस्ताव किया था. उसके इस प्रस्ताव को तत्कालीन वित्तमंत्री चिदंबरम (P Chidambaram) की स्वीकृति के बाद एफआईपीबी ने मंजूरी दे दी थी. लेकिन कंपनी ने शर्तों का उल्लंघन करते हुए 800 रुपये प्रति शेयर के प्रीमियम के साथ 305 करोड़ रुपये एफडीआई के रूप में प्राप्त कर लिये. इस निवेश को लेकर संदेह उत्पन्न होने के बाद आयकर विभाग ने एफआईपीबी को एक पत्र लिखकर मामले की जांच के लिए कहा. बोर्ड ने आयकर विभाग को बताया कि मामले की वैधता का पता लगा लिया गया है और इस बारे में आईएनएक्स मीडिया से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है. सीबीआई ने प्राथमिकी में आरोप लगाया है मामले में दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिये कंपनी ने मंत्री के पुत्र एवं चेस मैनेजमेंट के प्रवर्तक कार्ति चिदंबरम के साथ एक आपराधिक षड्यंत्र रचा ताकि एफआईपीबी में लोकसेवकों पर प्रभाव का इस्तेमाल करते हुये मामले को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सके.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि एफआईपीबी द्वारा आईएनएक्स मीडिया को कंपनी में पहले से किए गए निवेश के लिए नये सिरे से आवेदन करने की सलाह दी गई. मामले की जांच करने के आयकर विभाग के अनुरोध में भी टाल मटोल कर दी गई. सीबीआई ने आरोप लगाया है कि वित्त मंत्रालय ने न केवल नये प्रस्तावों को मंजूरी दी बल्कि आयकर विभाग द्वारा की जा रही जांच को लेकर भी भ्रामक सूचना दी. आगे यह भी आरोप लगाया है कि एफआईपीबी अधिसूचना और स्पष्टीकरण के लिए प्रबंधन परामर्श शुल्क के तौर पर एडवांटेज स्ट्रेटेजिक को 10 लाख रुपये का भुगतान किया गया. इसके लिये कंपनी ने आईएनएक्स मीडिया के नाम 3.5 करोड़ रुपये के बिल भी जारी किये. सीबीआई के अनुसार, एडवांटेज स्ट्रैटेजिक का नियंत्रण अप्रत्यक्ष रूप से कार्ति चिदंबरम ही करते हैं लेकिन कार्ति और उनके पिता ने इसका जोरदार ढंग से इनकार किया. प्राथमिकी में चिदंबरम का नाम आरोपी के तौर पर नहीं है और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले में अभी आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने अपने ऊपर लगे आरोपों का मजबूती से खंडन कर चुके हैं. उन्हें नोटिस जारी होने के बाद वह पिछले साल एजेंसी के सामने पेश भी हुए थे. इस बीच, प्राथमिकी में एक आरोपी के तौर पर शामिल इंद्राणी मुखर्जी मामले में सरकारी गवाह बन गई है और उसने आरोप लगाया कि वह चिदंबरम से उनके कार्यालय में और बाद में उनके बेटे से दक्षिणी दिल्ली स्थित एक पांच सितारा होटल में मिली थी जहां उसे कार्ति को एक विदेशी बैंक खाते में भुगतान करने के लिए कहा गया था.

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