दिलेर समाचार, मास्को: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के उनके समकक्ष इमैनुएल मैक्रों द्वारा तेहरान के साथ नये समझौते का आह्वान करने के बाद रूस ने बुधवार(25 अप्रैल) को कहा कि ईरान के वर्तमान परमाणु समझौते का कोई विकल्प नहीं है. राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रवक्ता दमित्री पेसकोव ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अब तक कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि इस विषय पर ईरान की स्थिति सर्वोपरि है. पेसकोव ने 2015 में हुए परमाणु समझौते के संदर्भ में कहा, ‘‘हम संयुक्त विस्तृत कार्रवाई योजना को इसके वर्तमान रूप में बनाए रखने के पक्ष में हैं.’’
उन्होंने कहा कि समझौता कई देशों के प्रयासों का नतीजा है. गौरतलब है कि ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिका और फ्रांस के आह्वान को खारिज किया है और ईयू ने भी वर्तमान समझौते को बनाए रखने पर जोर दिया है.
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने मंगलवार (24 अप्रैल) को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी देते हुए कहा कि 2015 में विश्व शक्तियों के साथ तेहरान सरकार द्वारा हस्ताक्षरित परमाणु समझौते से हटने पर उन्हें 'गंभीर परिणाम' भुगतने पड़ेंगे. टीवी पर सीधा प्रसारण में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस समझौते से अंत तक जुड़ी हुई है और ट्रंप को समझौते से अलग नहीं होने की चेतावनी दी. इस समझौते पर रूस, चीन, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस ने हस्ताक्षर किए थे.
रूहानी ने कहा, "मैं व्हाइट हाउस में बैठे लोगों को बता देना चाहता हूं कि अगर वे अपनी बचनबद्धता पर कायम नहीं रहे, तो ईरान सरकार इसपर काफी कठोर प्रतिक्रिया देगी." उन्होंने कहा, "अगर कोई इस समझौते पर धोखा देता है, तो उसे यह समझ लेना चाहिए कि उसे काफी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे.
इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों ने 24 अप्रैल को ईरान के साथ एक नये परमाणु समझौते का आह्वान किया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने तीन साल पुराने समझौते को ‘‘बेतुका’’ बताते हुए उसकी निंदा की. वहीं मैक्रों ने ट्रंप के साथ वॉशिंगटन में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मैं कह सकता हूं कि इसे लेकर हम दोनों के बीच खुलकर चर्चा हुई. इसलिए हम अब से ईरान के साथ एक नये समझौते की दिशा में काम करना चाहते हैं.’’
ट्रंप के यूरोपीय सहयोगियों ने बार-बार अनुरोध किया था कि वे 2015 के करार से पीछे न हटें जिसमें ईरान को प्रतिबंधों से बड़ी राहत और नागरिक परमाणु कार्यक्रम की गारंटी दी गई थी. इसके बदले में ईरान को उन कार्यक्रमों पर रोक लगानी थी जिनका इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने में हो सकता था.
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