सोनी मल्होत्रा
मधुमेह आज की गंभीर बीमारियों में से एक है। मधुमेह को नियंत्राण में रखने के लिए सबसे जरूरी है अपने भोजन में बदलाव। मधुमेह रोग हो जाने से डायबिटिक फुट, रेटिनापैथी और न्यूरोपैथी जैसे गंभीर रोग होने की भी संभावना बढ़ती है।
मधुमेह शरीर में होने वाली एक ऐसी खराबी है जिसके परिणामस्वरूप शरीर में इंसुलिन की मात्रा कम हो जाती है। इंसुलिन की शरीर में सेल्स को जरूरत पड़ती है ताकि वे शूगर को खर्च कर सकें। पेनक्रिया ग्लैंड से उत्पन्न इस इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी होने पर शूगर खर्च नहीं हो पाती और शरीर में ब्लड शूगर बढ़ जाती है।
मधुमेह होने का प्रमुख कारण है हमारा भोजन। यह बीमारी वंशानुगत भी होती है। मोटापा भी इस बीमारी की संभावना को बढ़ाता है। मधुमेह होने पर रोगी को अधिक भूख और प्यास लगती है। बार-बार पेशाब आने की भी समस्या होती है। गर्भावस्था में भी गेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है। इसके अतिरिक्त तनाव, डायरिया आदि अनेक लक्षण नजर आते हैं। अगर डायबिटीज को सही समय पर नियंत्रित न किया जाए तो गैंगरीन, ग्लूकोमा, रेटिनोपैथी, निफ्रोपेथी, न्यूरोपैथी, हृदय रोग आदि अन्य गंभीर रोग हो सकते हैं।
डायबिटीज पर नियंत्राण के लिए सबसे जरूरी है सही भोजन। चीनी, मिठाइयां, चाकलेट, आइसक्रीम और चीनी से बने सभी पदार्थों को अपने भोजन में से हटा दें। अधिक वसा जैसे घी, मक्खन, मलाई आदि का प्रयोग न करें। अपने भोजन में स्किम्ड दूध और मलाई रहित दूध का प्रयोग करें। अपने भोजन में रेशे की मात्रा बढ़ाएं। अपने भोजन में केला, जामुन, खीरा, प्याज, पालक, मूली, करेला आदि को शामिल करें। अदरक, लहसुन का सेवन अधिक करें क्योंकि इसमें जिंक की मात्रा अधिक होती है और इंसुलिन के बनने में सहायक होती है।
नियमित व्यायाम अवश्य करें क्योंकि इससे शूगर की मात्रा नियंत्रित होगी और कैलोरी खर्च होगी। व्यायाम कितनी देर और कौन-सा करें, इसके लिए डॉक्टर से राय अवश्य लें।
मधुमेह रोगी अपने पैरों की अधिक देखभाल करें। कोई भी चोट या सूजन होने पर तुरन्त डॉक्टर से परामर्श लें।
मधुमेह के कारण रोगी को हाइपोग्लोकेमिया भी हो जाता है जिसके कारण रक्त में शर्करा का स्तर कम होने लगता है। इसका कारण कोई कठिन, भारी व्यायाम और भोजन सही समय पर न लेना हो सकता है।
इसके अतिरिक्त कभी कभी हाईपरग्लाईकेमिया भी हो जाता है जिसके कारण रक्त में शर्करा की मात्रा अधिक हो जाती है। डायबिटीज रोगी समय-समय पर डायबिटीज की जांच कराते रहें व डॉक्टर द्वारा दिए परामर्श में लापरवाही बिलकुल न करें। समय पर दवाइयां व सही भोजन लें। चीनी बिलकुल न लें, न ही चीनी से बने पदार्थ जेम, जेली, शहद, गुड़ आदि लें। फलों का सेवन करते वक्त यह ध्यान रखें कि उन्हें अधिक मात्रा में न लें। अपने भोजन में रेशे की मात्रा अधिक लें। तले हुए आलू न लें। उबले हुए आलू नुकसानदायक नहीं पर अधिक मात्रा में न लें।
चीनी व वसायुक्त पदार्थ बिलकुल न लें। कभी भी भूखे न रहें। थोड़ा खाएं परन्तु खाने को छोड़ें न। 30-45 मिनट की सैर सबसे उपयुक्त व्यायाम है।
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