श्रीनगरः जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद विकास की गति तो तेज हुई ही है, उसके साथ ही उन लोगों को अपना हक भी मिला है, जिससे वे सदियों से वचिंत थे, जिनमें पाकिस्तानी रिफ्यूजी, वाल्मीकि सामाज, गोरखा सामाज और पीओजेके रिफ्यूजी (देश के बंटवारे के वक्त पाकिस्तान से जम्मू-कश्मीर आए हिंदू शरणार्थी) शामिल हैं. पहले इन लोगों के पास वोट डालने का अधिकार नहीं था, लेकिन अब ये सभी लोग जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में अपना वोट डाल सकते हैं. पहले सिर्फ लोकसभा चुनावों में ही पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को वोट डालने का हक था. जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त, 2019 को आर्टिकल 370 को खत्म करके इसे केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया था, हालांकि स्थानीय राजनीतिक दलों के साथ साथ कांग्रेस ने इसको लेकर केंद्र सरकार की काफी आलोचना की थी, जो अब भी जारी है.
महबूबा मुफ्ती की पीडीपी और फारूक अब्दुल्ला की नेशनल काॅन्फ्रेंस ने सरकार के इस कदम का खुलकर विरोध किया और मामले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे. अब जम्मू-कश्मीर शासन ने सांबा, कठुआ और जम्मू के ऊन इलाकों में राजस्व विभाग की टीमों को काम को जल्द पूर्ण करने का आदेश जारी किया था. क्योंकि 1947 मे वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजियों ने इन तीन जिलों में डेरा जमाया था. हालांकि, इनमें से कुछ परिवार पजांब, हरियाणा व दिल्ली समेत अन्य राज्यों में चले गए थे. अब राज्य सरकार इन लोगों को लगभग 47,000 हजार कनाल भूमि का मालिकाना हक व अन्य सुविधाएं देने की तैयारी में है और इसके लिए जम्मू-कश्मीर राजस्व विभाग ने अपनी प्रकिया शुरू कर दी है.
दरअसल, वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजियों को 3 मई, 1954 को ये भूमि आवंटित की गई थी, लेकिन उन्हें मालिकाना हक नहीं मिला था. ये लोग आवंटित भूमि पर सिर्फ खेती कर सकते थे, न इसे बेच सकते थे और न ही किसी और काम के लिए इस्तेमाल में ले सकते थे. लेकिन अब सरकार इन शरणार्थियों की इस समस्या का समाधान करने जा रही है. ये शरणार्थी सरकारी नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं. ‘वेस्ट पाकिस्तानी रिफ्यूजी एक्शन कमेटी, 1947’ के प्रधान लब्बा राम गांधी ने News18 से कहा कि सरकार की इस पहल का हम स्वागत करते हैं. क्योंकि इस पहल से हमारे 22 हजार के करीब परिवार, गोरखा सामाज के साथ साथ वाल्मीकि सामाज के परिवार लाभांवित होंगे.
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