दिलेर समाचार , कठुआ गैंगरेप-मर्डर केस में एक बडा खुलासा हुआ है. आठ आरोपियों में से एक आरोपी को नाबालिग बताया जा रहा था, पर मेडिकल रिपोर्ट के आने के बाद पता चला की वह बालिग है. सरकारी वकील जेके चोपड़ा ने बताया कि जिस आरोपी को नाबालिग बताया जा रहा था उस आरोपी की उम्र 20 वर्ष से अधिक है.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई को कठुआ अदालत से ट्रांसफर कर पठानकोट में कर दिया है. गर्मी की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई फिर से सोमवार को शुरु हुई। नाबालिग बताए जा रहे आरोपी परवेश कुमार उर्फ मन्नू की सही उम्र पता करने के लिए पठानकोट कोर्ट के जज तजविंदर सिंह ने क्राइम ब्रांच को उसका बोन ऑसिफिकेशन टेस्ट करवाने का निर्देश दिया था.
सरकारी वकील से पूछने पर पता चला कि जांच करने वाले डॉक्टर्स इस आरोपी की उम्र 20 से अधिक ही आंक रहे हैं. गर्मी की छुट्टियों से पहले परवेश कुमार के वकील ने कोर्ट से आरोपी परवेश कुमार को नाबालिग की तरह ट्रीट करने की मांग की थी और इसी मांग के बाद जज ने आरोपी की उम्र पता करने के लिए मेडिकल टेस्ट का आदेश दिया था. आरोपी को उसके हाईस्कूल के सर्टिफिकेट के आधार पर ही नाबालिग बताया रहा है.
क्या थी घटना..
इसी साल 10 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में एख 8 साल की मासूम बच्ची को पहले तो अगवा किया गया और फिर एक मंदिर में 3 दिन तक बंधक बनाकर रखा गया. बंधक बनाकर रखने के दौरान एक पुलिसकर्मी समेत 8 लोगों ने उस 8 साल की बच्ची के साथ रेप किया. फोरेंसिक रिपोर्ट के अनुसार, रेप के दौरान पीड़ित बच्ची को भांग और नशीली दवाओं का ओवरडोज देकर बेहोश रखा गया. औऱ 13 जनवरी को पीड़िता की गला घोंटकर कर हत्या कर दी गई. पर बच्ची की लाश उसके भी तीन दिन बाद यानी 16 जनवरी को मंदिर के पास ही जंगल की ओर झाड़ी में पड़ी पाई गई थी.
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