दिलेर समाचार,तांबे के बर्तन में पानी पीना स्वास्थ्य और शरीर के लिए कई प्रकार से उपयोगी माना गया है लेकिन बहुत कम लोग इसके उपयोग की सही विधि जानते हैं। गलत विधि से प्रयोग होने के कारण शरीर को या तो इसका लाभ मिल नहीं पाता या मिलता भी है तो संपूर्ण लाभ नहीं मिल पाता। सही और गलत विधियों की चर्चा हम आखिर में करेंगे, पहले इसके गुणों की बात करते हैं।
तांबा धातु अपने आप में एक प्राकृतिक जीवाणिरोध होता है। वैज्ञानिक शोधों में भी इसके स्वास्थ्य गुणों को प्रमाणित किया जा चुका है। एक अध्ययन के अनुसार ई-कोलाई के 99.9 प्रतिशत जीवाणु तांबे की सतह पर 2 घंटे में ही समाप्त हो गए।
पानी के साथ तांबा रासायनिक प्रतिक्रिया करता है और इस तरह इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटी-इंफ्लामेंटरी और कैंसररोधी प्रॉपर्टीज उत्पन्न होते हैं। यही कारण है कि तांबे के बरतन में रखा पानी पीना कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करता है, इसके इन गुणों से मेडिकल साइंस भी इनकार नहीं करता।2012 में किए गए एक अध्ययन के अनुसार तांबे के पात्र में जल रखने से इसकी अशुद्धियों को भी कम किया जा सकता है। अध्य्यन में पाया गया कि 16 घंटे तक इस धातु के पात्र में पानी रखने से उसमें मौजूद ज्यादातर जीवाणु मर गए। उस पानी में विशेष रूप से मौजूद ‘पेचिश के विषाणु’ और ‘ई-कोलाई’ के अमीबा तो पूरी तरह समाप्त हो गए।
अपने एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लामेंटरी गुणों के कारण ताम्रजल शरीर को अपने आंतरिक और बाह्य घावों को जल्दी भरने में मदद मिलती है। यह थाइरॉयड ग्रंथि के स्राव को भी संतुलित करता है, अर्थराइटिस के दर्द को ठीक करने में लाभकारी है। शरीर में लौह तत्वों के अवशोषण में सहायक होकर खून की कमी को दूर करता है, कोलेस्ट्रोल कम करता है।
आयुर्वेद के अनुसार तांबे के पात्र में रखा पानी पीना शरीर में वात, पित्त और कफ तीनों को ही संतुलित करता है, लेकिन इसके लिए यह भी आवश्यक कि पानी कम से कम इसमें 8 घंटे रखा होना चाहिए। तांबे के बरतन में रखे पानी की एक और खास बात यह है कि यह पानी कभी भी बासी नहीं होता और लंबे समय के लिए ताजा रहता है।
लोग अक्सर इस पानी के इस्तेमाल में एक असावधानी बरतते हैं। ज्यादातर घरों में इसके स्वास्थ्य लाभ देखते हुए तांबे के जग या ग्लास में पानी रखकर उसे पिया जाता है, लेकिन ध्यान यह रखें कि इस बरतन को कभी भी जमीन पर ना रखें वरना आपको इसका कोई भी लाभ नहीं मिलेगा।दरअसरल जमीन पर रखने से पृथ्वी की गुरुत्वाकर्ष्ण शक्ति के कारण तांबे के सभी गुण पानी में नहीं मिल पाते और इस प्रकार आपको इसके लाभ भी नहीं मिलते। इसलिए तांबे के पात्र में पानी रखने के बाद उसे कभी भी जमीन पर ना रखें, बल्कि उसे लकड़ी की मेज या टेबल पर रखें।
इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि इसके अंदरूनी तले को अच्छी प्रकार साफ करें, वरना उसपर कॉपर ऑक्साइड की परत (हरे रंग की) जमने लगती है और तब भी आपको इस पानी के पूरे लाभ नहीं मिल पाते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कॉपर ऑक्साइड की परत के कारण तांबे के साथ पानी का सीधा संपर्क नहीं हो पाता और इस कारण रासायनिक क्रिया हो नहीं पाती।
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