दिलेर समाचार, दिवाली बीती और हाथ क्या लगा? इस पर बहुत कम लोग विचार कर पाते हैं। पिछले दिनों खाना, खर्च और खयाल के मामले में लगभग सभी लोगों को कुछ न कुछ अनुभव हुआ होगा। कुछ लोगों ने हैसियत से बाहर जाकर खर्च किया होगा। माहौल इतना लुभावना था कि जिनकी हैसियत नहीं होगी वे लोन लेकर निपटारा कर चुके होंगे। खाने-पीने के दौर में जिन्हें मीठे से परहेज बताया गया हो उनका भी संयम टूट जाता है।
फिर हमारे विचार इन दिनों इतने शोर में डूबे कि बहुत कम लोग होंगे, जो दिवाली के बाद खुद को शांत पाएंगे। जिन लोगों के पास काम का दबाव रहा वे भी अशांत, जो लोग ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाए वे भी शांत नहीं होंगे। इसलिए दिवाली के बाद शांति से विचार करें कि क्यों ऐसा होता है कि हम किसी उत्सव या त्योहार पर ही बहुत सक्रिय होकर कुछ अनूठा करने का विचार करते हैं।
जीवन तो निरंतरता यानी छोटे-छोटे कामों को भी ठीक से करने का नाम है। इसे समझना हो तो तय कर लें कि जीवन बड़े अभियानों से ही नहीं, छोटे-छोटे कामों से बना है। आप कैसे सोते, उठते, बैठते और बोलते हैं, जीवन का निर्माण इन्हीं छोटी-छोटी गतिविधियों से हुआ है। मौजूदा वक्त की अंधी दौड़ में लोग सामान्य गतिविधियों, जो कि बहुत महत्वपूर्ण हैं, के प्रति लापरवाह हो गए हैं।
जैसे दिवाली पर खाना, खर्च और खयाल में इन्वॉल्व थे ऐसे ही इन छोटी गतिविधियों के प्रति होश में हैं तो तुरंत हमारी चेतना इन कर्मों से जुड़ जाएगी। जैसे ही चेतना जुड़ती है, किसी भी कृत्य को करने के बाद आप अशांत नहीं रहेंगे। इस प्रयास के लिए ही निरंतरता रखनी होगी, इसलिए छोटी-छोटी बातों पर भी लगातार काम कीजिए, जीवन इसी से बना है।
ये भी पढ़े: राजयोग का असर कुंडली में इस योग के कारण खत्म हो जाता है
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar