सुनीता गाबा
‘ प्रातः काल की सैर और व्यायाम सूर्योदय के समय करने से अधिक लाभ होता है। तब तक वातावरण में प्रदूषण बहुत कम होता है।
‘ सोने से पहले मीठा न खायें। मीठा दांतों से चिपक कर बहुत हानि पहुंचाता है।
‘ रात्रि भोजन सोने से दो तीन घंटे पूर्व लें ताकि खाना सोने तक पचना प्रारंभ हो जाये।
‘ हाई प्रोटीन वाला भोजन रात्रि में न लें क्योंकि उसे पचाना मुश्किल हो जाता है। नाश्ते के समय हाई प्रोटीन लेना उचित माना जाता है। प्रोटीन खून में शुगर का स्तर बढ़ा देते हैं जिससे शरीर में स्फूर्ति बढ़ जाती है।
‘ स्टार्चयुक्त भोजन रात्रि में करना उचित है। चावल और आलू आदि का सेवन हो सके तो रात के भोजन में करें।
‘ विटामिन व खनिज कैप्सूल हमेशा भोजन के तुरंत बाद लें ताकि विटामिन व खनिज तत्व भोजन में समा जाएं।
‘ शीत ऋतु में उपवास कम रखें क्योंकि शीत ऋतु में जठराग्नि तेज होती है। बार-बार पानी पीने से काम नहीं चलता। इस मौसम में पानी की प्यास भी कम लगती है।
‘ ग्रीष्म ऋतु में उपवास वाले दिन खूब पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न हो।
‘ रात्रि में सोने से दो-तीन घंटे पूर्व चाय-काफी का सेवन न करें। नींद आने में कठिनाई होगी और मूत्रा त्याग के लिए बार-बार जाना पड़ सकता है। अगर आप देर रात तक काम करना चाहते हैं तो सामान्य सोने के समय से एक घंटा पूर्व चाय-काॅफी पी लें जिससे आप पर नींद हावी न हो सके।
‘ रात में खाना खाने के तुरंत बाद घूमने न निकलें क्योंकि उस समय आमाशय क्रियाशील अवस्था में होता है। खाने से 1 घन्टा पूर्व घूमने निकलें या खाने के 1/2 घंटा बाद घूमने के लिए निकलें।
‘ कुछ रचनात्मक कार्य करें। सारा समय टी. वी. के सामने बैठकर समय व्यर्थ न गंवायें।
‘ रात्रि में भारी भोजन व तले हुए भोजन से परहेज करें। पार्टी में जाना आवश्यक हो तो वहां हल्का भोजन लें या घर से कुछ खाकर जायें ताकि वहां अधिक न खाया जाये।
‘ दोपहर को भरपेट भोजन लें।
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