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गहराई से जानें सूर्य ग्रहण के बारे में

Posted at: Jun 19 , 2020 by Dilersamachar 9916

सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं जिन्हें पूर्ण सूर्य ग्रहण, आंशिक सूर्य ग्रहण व वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।

1. पूर्ण सूर्य ग्रहण

पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी पास रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले ले फलस्वरूप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुँच नहीं पाता है और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है तब पृथ्वी पर पूरा सूर्य दिखाई नहीं देता। इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है।

2. आंशिक सूर्य ग्रहण

आंशिक सूर्यग्रहण में जब चन्द्रमा सूर्य व पृथ्वी के बीच में इस प्रकार आए कि सूर्य का कुछ ही भाग पृथ्वी से दिखाई नहीं देता है अर्थात चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है। इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है तो पृथ्वी के उस भाग विशेष में लगा ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण कहलाता है।

3. वलयाकार सूर्य ग्रहण

वलयाकार सूर्य ग्रहण में जब चन्द्रमा पृथ्वी के काफ़ी दूर रहते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है अर्थात चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है और पृथ्वी से देखने पर चन्द्रमा द्वारा सूर्य पूरी तरह ढका दिखाई नहीं देता बल्कि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन या वलय के रूप में चमकता दिखाई देता है। कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहलाता है।

 - इस बार साल के सबसे बड़ा दिन 21 जून 2020 को दुर्लभ खगोलीय घटना होगी। यानी रविवार आषाढ़ अमावस्या को वलयाकार सूर्य ग्रहण लगेगा। इसे कंकणाकार ग्रहण भी कहते हैं। यह सूर्य ग्रहण देश के कुछ भागों में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।

- दिल्ली में ग्रहण सुबह 10:20 से प्रारम्भ होगा और इसका समाप्ति काल 13:48 ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 मिनट होगी

- ग्रहण का स्पर्श : 10:20

- ग्रहण का मध्य : 12:01

- ग्रहण का मोक्ष काल 13:48 तक रहेगा

धार्मिक दृष्टिकोण: जहा पर ग्रहण का दर्शन होता हैं वही पर इसका सूतक भी लगता हैं ग्रहण के फल भी वही मिलते हैं, यह कहा गया हैं सूर्य चन्द्रमा ग्रहण महान पुण्य काल में उपस्थित होता हैं इस काल में लोगो को जप तप करना चाहिए इस काल में किया गया जप तप का फल अनेक गुना होकर प्राप्त होता हैं

जप के अलावा हवन व दान भी शुभ माना जाता हैं जप की शुरुआत नहा धोकर ग्रहण के स्पर्श काल से लेकर मोक्ष तक कर सकते हैं, ग्रहण मोक्ष के बाद भी स्नान का शास्त्रीय महत्व हैं।

 ज्योतिष दृष्टिकोण: ज्योतिष का एक भाग मेदिनी ज्योतिष भी होता हैं जिसमें देशोंए राज्‍यो, शहरों सरकार और भूकंप के विषय में अध्ययन किया जाता है।

• ग्रहण के स्पर्श के समय सिंह लग्न का उदय हो रहा है। सिंह लग्न भारत की कुंडली के अनुसार 4 भाव है यहां चतुर्थेश मंगल अष्टम भाव में स्थित है और शनि से दृष्ट होने के कारण पीड़ीत है मैदिनी ज्योतिष के अनुसार चतुर्थ भाव से जमीन खेती बाड़ी, भूंकप, स्कुल कॉलेज के भवन से संबन्धित घटनाऐं हो सकती है। मंगल और शनि दोनो तृतीय भाव को भी पीड़ीत कर रहे है यह पडौ़सी देश से सीमा विवाद राज्यो के विभाजन का संकेत दे रहे है।

- एकादश भाव में स्थित 4 ग्रह मंगल से दृष्ट जो की अचानक किसी लाभ को भी दिखा रहे है।

• ग्रहण के मध्य काल व मोक्ष काल में कन्या लग्न का उदय हो रहा है कन्या लग्न भारत की कुंडली का पंचम भाव का लग्न है मैदिनी ज्योतिष के अनुसार पांचवा भाव से देश के बच्चे, शिक्षा से बन्धित कोई बदलाव दर्शाता है, जिस ग्रहण में बुध शामिल हो तो राजकुमार, आज के युवा, स्टूडेंट को समस्या, जो शिक्षित वर्ग के लोग है उन पर असर होता है। क्योंकि यह ग्रहण बुध की राशि मिथुन में बुध शिक्षा का कारक ग्रह है, ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में होगा कुर्म चक्र के अनुसार मृगशिरा नक्षत्र राजस्थान, पश्चिमि उत्तर प्रदेश, मथुरा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र का पूर्वी भाग का इन राज्यो मे कुछ समय के लिए चिन्ताऐं बनी रहेगी।

- कर्क संक्रान्तीः 16 जुलाई 2020 को जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे यह ग्रहण महामारी की परिस्थितियों में सुधार का कार्य करेगा, स्वस्थ वातावरण, यह ग्रहण पूरे देश के लिए अच्छा है, नकारात्मकता को दूर करने का काम करेगा, वर्षा अच्छी मात्रा में होगी और कृषि और किसानो के लिए भी यह ग्रहण काफी सुबह समय का संकेत है।

- दक्षिणायन यह सूर्य का विशेष गोचर होता है क्योकि सूर्य एक अयन से दुसरे अयन में प्रवेश करते है। जिसे दक्षिणायन कहा जाता है। अर्थात एक साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है और यही परिवर्तन या अयन ‘उत्तरायण और दक्षिणायन कहा जाता है।

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