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इस प्राचीन मंदिर पूजे जा रहे मेंढक जानिए क्यों?

Posted at: Aug 3 , 2017 by Dilersamachar 11894

दिलेर समाचार, हमारे भारत देश में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जहां अलग-अलग तरह के पूजा – पाठ किए जाते हैं, फिर चाहे जानवरों की पूजा ही क्यों ना हो.

इसी कड़ी में आज हम आपको भिरत के एकमात्र ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं, जिस मंदिर में मेंढक की पूजा – आराधना बड़ी हीं आस्था से की जाती है.

आइए जानते हैं कि आखिर यहां मेंढक की पूजा क्यों की जाती है? और क्या है इस मंदिर की विशेषता?

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के ओयल कस्बे में भारत का एकमात्र मेंढक का यह मंदिर स्थित है.

कहा जाता है कि लगभग 200 साल पुराना है ये मंदिर. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए प्राचीन काल में इस मंदिर का निर्माण करवाया गाया था.

ओयल शैव संप्रदाय का मुख्य केंद्र है यह जगह. कहा जाता है कि यहां के शासक भगवान शिव के उपासक थे. यहां पर मंडूक यंत्र पर आधारित प्राचीन भगवान शिव जी का मंदिर भी मौजूद है. यह जगह 11वीं शताब्दी के बाद से 19वीं शताब्दी तक चाहमान शासकों के अधीन था. और बख्श सिंह जोकि चाहमान वंश के राजा थे. उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था.

मेंढक की पूजा

 

 तांत्रिक ने किया मंदिर का वास्तु

कपिला के एक पहुंचे हुए तांत्रिक ने इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना की थी. वास्तु संरचणा पर आधारित यह मंदिर अपनी विशेष शैली की वजह से लोगों का मन मोह लेती है. महाशिवरात्रि और दीपावली के शुभ अवसर पर यहां भक्तों की बड़ी भीड़ उमड़ती है.

 कैसे पहुंचे

ओयल जगह लखीमपुर से 11 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पहुंचने के लिए पहले लखीमपुर जाना होता है. और फिर लखीमपुर से ही टैक्सी या बस करके ओयल पहुंचा जा सकता है. अगर आप फ्लाइट से सफर कर रहे हैं, तो यहां से सबसे नजदीक लखनऊ एयरपोर्ट है. जो 135 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां से आप UPSRTC की बसें लखीमपुर के लिए ले सकते हैं.

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