दिलेर समाचार, प्रतिष्ठित नागरिकों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि कोरेगांव-भीमा मामले के सभी पहलुओं की जांच करने के लिए अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित की जानी चाहिए। ।
मामले में गिरफ्तार किए गए पांच लोगों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड की पीठ के समक्ष आरोप लगाया कि जांच में खामी है। उन्होंने राज्य के ‘‘दमनकारी अभियोग’’ से लोगों की रक्षा करने में अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की।
ग्रोवर ने दावा किया कि जांच ‘‘अनुचित, पक्षपातपूर्ण और अपूर्ण’’ है जैसा कि कार्यकर्ताओं के घरों की तलाशी में ‘‘अवैधता’’ से पता चलता है।उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं के घरों पर मारे गए छापे गैरकानूनी थे क्योंकि उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
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प्रतिष्ठित नागरिकों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अश्वनी कुमार ने दावा किया कि आरोपियों की गिरफ्तारी से पहले और बाद में आपराधिक जांच साफ तौर पर बदनीयत से की गई और यह उनके मौलिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।
उच्चतम न्यायालय ने पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं वरवर राव, अरुण फरेरा, वर्नोन गोन्साल्विस, सुधा भारद्वाज और गौतम नवलखा की उनके घरों पर नजरबंदी की अवधि गुरुवार तक बढ़ा दी थी।
न्यायालय ने 17 सितंबर को कहा था कि अगर ऐसा पाया गया कि सबूत ‘‘गढ़े’’ गए थे तो वह एसआईटी जांच के आदेश दे सकता है। ।
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