दिलेर समाचार, नई दिल्ली. कोरोना काल के दौरान देश के अंदर हजारों मोबाइल ऐप एक्टिव हुए थे. उस वक्त लोगों के लिए मोबाइल पर एक्टिव रहना और उसके जरिये काम करना मजबूरी बनी हुई थी. उसी दौरान दर्जनों ऐसे मोबाइल ऐप सामने आए जो लोगों को कुछ ही मिनट के अंदर हजारों- लाखों रुपये का कर्ज और ऐप में निवेश करने पर 18 प्रतिशत के हिसाब से दैनिक और साप्ताहिक ब्याज देने जैसे कई लोकप्रिय प्रलोभन दे रहे थे. जिसके जाल में कई युवा फंसकर आत्महत्या करने के लिए मजबूर भी हो गए थे. हालांकि समय के साथ- साथ बाद में उन्हें पता चला था कि वो कई चाइनीज ऐप के जाल में भी फंसते चले गए हैं. ऐसा ही एक मोबाइल ऐप था, जिसका नाम पॉवर बैंक है.
पॉवर बैंक ऐप गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद था, जिसके चलते लोग भरोसे के साथ इस ऐप को डाउनलोड करके उसका इस्तेमाल करने लगे. लेकिन बाद में उन लोगों को ये पता चला कि पॉवर बैंक ऐप गिरोह इसके जरिये कई राज्यों में ऑनलाइन ठगी के मामले को अंजाम दे रहा था. इस मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस के द्वारा मामला दर्ज किया गया था. पॉवर बैंक ऐप को पब्लिश करने वाली कंपनी का नाम इंडिया पॉवर था. जिसे बैंगलोर की एक टेक्नोलॉजी कंपनी ने तैयार किया था. इस कंपनी पर मार्च 2021 से लेकर मई 2021 के दौरान ही करीब 341 करोड़ रुपये जुटाने का आरोप है.
केन्द्रीय जांच एजेंसी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने पॉवर बैंक ऐप फर्जीवाड़ा मामले में एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, गुजरात में सर्च ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस सर्च ऑपरेशन के दौरान काफी महत्वपूर्ण सबूतों और दस्तावेजों समेत इलेक्ट्रॉनिक सबूतों को जब्त किया गया. ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सर्च ऑपरेशन के दौरान मेसर्स देव इंटरप्राइजेज, मेसर्स मेसर्स दिव्यम इंफ्राकॉन प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स तन्वी गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी सहित कई अन्य संदिग्ध कंपनियों से जुड़े निदेशकों समेत अन्य अधिकारियों के लोकेशन पर सर्च ऑपरेशन की कार्रवाई को अंजाम दिया गया.
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