दिलेर समाचार,जिम जाने और डाइटिंग करने वाली महिलाओं की तादाद भी तेजी से बढ़ रही है। जिम जाते-जाते जब स्टैमिना थोड़ा सुधर जाता है, तो कई बार महिलाएं उत्साहित होकर जरूरत से ज्यादा एक्सर्साइज करने लगती हैं, लेकिन कुछ स्टडीज से यह बात प्रमाणित हुई है कि क्षमता से ज्यादा एक्सर्साइज करने और डाइटिंग करने के कारण महिलाओं की फर्टिलिटी यानी गर्भधारण करने की क्षमता पर नकारात्मक असर पड़ता है।
इसके अलावा और भी कई तरह की समस्याएं होती हैं, ।असल में जरूरत से ज्यादा एक्सर्साइज की वजह से अक्सर महिलाओं के शरीर में एक खास तरह की स्थिति पैदा हो जाती है, जिसे अमेनरीया यानी रजोरोध कहते हैं। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब एक सामान्य स्त्री को लगातार 3 महीने से ज्यादा वक्त तक सही तरीके से पीरियड्स नहीं आते। कई महिलाओं में यह स्थिति इस वजह से पैदा होती है, क्योंकि वे शरीर को नियमित रूप से ऊर्जा प्रदान के जिए जरूरी कैलरीज का सेवन किए बिना जिम में कई घंटों तक एक्सर्साइज करती हैं।
शरीर में कैलरी की इस कमी का सीधा असर न केवल फर्टिलिटी पर पड़ता है, बल्कि इसकी वजह से महिलाओं की यौन इच्छा भी प्रभावित होती है। मोटापे से पीड़ित महिलाएं भी फिटनेस एक्सपर्ट या ट्रेनर से सलाह लिए बिना जिम में जरूरत से ज्यादा कार्डियो या वेट उठाने वाली एक्सर्साइज करने लगती हैं, जिससे उनकी फर्टिलिटी पर नकारात्मक असर पड़ता है।
ज्यादा एक्सर्साइज या जरुरत से ज्यादा वेट उठाने, कार्डियो ट्रेनिंग या रनिंग करने से महिलाओं के शरीर में कुछ समय बाद हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है। इसकी वजह से उनका पीरियड्स अनियमित हो जाता है या कई बार पूरी तरह बंद भी हो जाता है।
साथ ही अंडों का उत्सर्जन भी सही ढंग से नहीं होता है। इसीलिए महिलाओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि 30 से 40 मिनट की ब्रिस्क वॉक या इतनी ही देर की जिमिंग, योग या स्विमिंग ही सबसे बेहतर और इससे हेल्थी तरीके से वेट लॉस होता है। इसके अलावा डाइटिंग करने वाली महिलाओं को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर को रोज एक संतुलित मात्रा में फैट की भी जरूरत होती है और जब वह शरीर को नहीं मिलता तो उससे हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाता है और फर्टिलिटी प्रभावित होती है।’
जो महिलाएं जिम में डेढ़ से 2 घंटे या 3 घंटे लगातार एक्सर्साइज करती हैं और साथ में डाइटिंग भी करती हैं, उनके शरीर में 2-3 महीने के अंदर हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने लगता है, जिससे उनकी गर्भधारण करने की क्षमता काफी प्रभावित होती है।
हमारे पास जितने केसेज आते हैं, उनमें 5 से 10 पर्सेंट केस इसी तरह के होते हैं। सबसे खास बात यह है कि एक बार हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ जाने के बाद उसे फिर से ठीक करना काफी मुश्किल होता है। फिर जिम न जाने या एक्सर्साइज कम कर देने भर से यह परेशानी ठीक नहीं होती। ऐसे में दवाइयों और सही डाइट के जरिए धीरे धीरे हार्मोन्स का संतुलन ठीक करना पड़ता है। ज्यादा गंभीर मामलों में तो फिर आईवीएफ ट्रीटमेंट ही मां बनने का एकमात्र उपाय रह जाता है।’
असल में जरूरत से ज्यादा एक्सर्साइज करने से शरीर में ऐस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर इतना बढ़ जाता है कि वह पीरियड्स में बाधा डालने लगता है और उसी के चलते गर्भधारण करने में दिक्कत आती है। गौरतलब है कि ज्यादातर गर्भनिरोधक दवाइयों भी ऐस्ट्रोजन का स्तर बढ़ाती हैं और इसीलिए उनका सेवन करने के बाद महिलाएं खुद को गर्भवती होने से रोक पाती हैं।
ऐसे में जब अत्यधिक कसरत की वजह से ऐस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है, तो जाहिर है कि उससे भी इसी तरह की दिक्कत पैदा होगी। इसलिए महिलाओं को हेवी एक्सर्साइज से बचना चाहिए और सामान्य दिनचर्या का ही पालन करना चाहिए।
नियमित रूप से एक्सर्साइज करने के साथ-साथ पर्याप्त डायट भी बेहद जरूरी है, क्योंकि आपके शरीर को नियमित रूप से कैलरीज और पोषक तत्वों की भी जरूरत पड़ती है। खासतौर पर तब, जब आप एक्सर्साइज के दौरान अपनी काफी ऊर्जा खो देती हैं। जिम जाने वाली महिलाओं को समय समय पर अपनी गर्भधारण क्षमता की जांच भी करवाते रहना चाहिए।
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