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दंगल फिल्म की तरह गोल्डकोस्ट में भी बेटी को लड़ते नहीं देख पाए महावीर फोगाट

Posted at: Apr 24 , 2018 by Dilersamachar 11216
दिलेर समाचार, इंदौर । बबिता कुमारी को इस बात का ग़म तो था ही कि वो गोल्डकोस्ट में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों स्वर्ण पदक नहीं जीत पाईं, इस बात का ग़म ज़्यादा था कि पहली बार उनको लड़ते देखने विदेश आने के बावजूद उनके पिता महावीर सिंह फोगाट करारा स्टेडियम में नहीं घुस पाए. और तो और वो टीवी पर भी उन्हें लड़ते हुए नहीं देख पाए. 
 
गोल्डकोस्ट में हर खिलाड़ी को अपने परिजनों के लिए दो टिकट दिए गए हैं, लेकिन बबिता को वो टिकट नहीं मिल पाए. जब उन्होंने भारतीय दल के मिशन प्रमुख विक्रम सिसोदिया से शिक़ायत की तो उन्होंने बताया कि पहलवानों के सारे टिकट उनके कोच राजीव तोमर को दिए जा चुके हैं. उन्होंने ख़ुद अपने हाथों से पाँच टिकट तोमर को दिए हैं.
 
तोमर से जब बबिता ने टिकट मांगा तो उनके पास कोई टिकट उपलब्ध नहीं था. महावीर सिंह फोगाट भारत में ख़ुद एक बड़े स्टार हैं, क्योंकि उन्होंने ही फोगाट बहनों को ट्रेनिंग देकर नामी पहलवान बनाया, लेकिन शायद भारतीय कुश्ती अधिकारी उनके इतने बड़े फ़ैन नहीं हैं.
 
यहाँ कई खेल स्टार्स के माता पिता को भारतीय ओलंपिक संघ की तरफ़ से 'एक्रेडिटेशन' तक दिए गए हैं, लेकिन बबिता इस बात से दुखी थीं कि इतनी दूर आने के बावजूद उनके पिता को स्टेडियम के अंदर तक प्रवेश नहीं मिल पाया.
 
आख़िर में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उनकी मदद की और किसी तरह उन्हें एक टिकट दे दिया. लेकिन वो जब तक स्टेडियम के अंदर पहुँच पाते, बबिता का फ़ाइनल मैच समाप्त हो चुका था.
 
इससे पहले भी 2014 ग्लास्गो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में भी कुछ एसा ही वाख्या हुआ था जो गोल कोस्ट में भारतीय महिला पहलवान बबिता कुमारी के साथ दौहराया गया | दर्शल 2014 ग्लास्गो में कॉमनवेल्थ गेम्स क्र दौरान भारतीय महिला कुश्ती के कोच कृपाशंकर को बैन कर दिया गया था । भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने उन्हें बतौर कोच भेजा था । लेकिन, भारतीय खेल संघ ने न सिर्फ उन पर प्रतिबंध लगाया था बल्कि उनका मान्यता पत्र को भी रद्द कर दिया था । मजे की बात तो यह है की उस समय भारतीय कुश्ती संघ व भारतीय दल के मिशन प्रमुख राज सिंह को भारतीय दल के चीफ डिमीशन नियुक्त किया गया था और उन्होंने साई के भ्रष्टाचारी महानिदेशक जी. जी. थामसन को खुश करने के लिए एसा किया था | 
 
इतना ही नहीं कृपाशंकर भी महावीर फोगाट की तरह ग्लास्गो में महज दर्शक बनकर रह गए थे । उन्हें स्टेडियम में जाने से भी रोका गया था पुलिश का डर भी दिखाया गया | भारतीय खिलाड़ियों को कोचिंग देना तो दूर कृपाशंकर को उनसे मिलने भी नहीं दिया गया था । आखरी कार उस समय पहले दिन मुकाबले के लिए बबिता कुमारी और विनेश ने कोच कृपाशंकर को अपना 'एक्रेडिटेशन' कार्ड दिया था व दुसरे दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम ने उनकी मदद की थी | पुरे कार्यक्रम में कोच कृपाशंकर ने भारतीय पहलवानों का होसला दर्शक दीर्धा में बेठ कर बडाया |

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