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शेरों की मौत का मामला : अदालत ने कहा, टीकाकरण पर विशेषज्ञ लें फैसला

Posted at: Oct 16 , 2018 by Dilersamachar 10525

दिलेर समाचार, गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि विशेषज्ञों को यह फैसला लेना चाहिए कि कैनाइन डिस्टेंपर वायरस (सीडीवी) के प्रकोप को रोकने के लिए राज्य के गिर जंगलों में सभी शेरों का टीकाकरण करना चाहिए या नहीं। पिछली सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय को बताया कि सितंबर में गिर के जंगलों में मृत पाए गए 23 शेरों में से 17 की मौत सीडीवी एवं जीवाणु संबंधी संक्रमण के कारण हुई। ।

ये शेर अमरेली जिले के गिर (पूर्व) संभाग के दलखनिया रेंज में मृत पाए गए थे।मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी एवं न्यायमूर्ति वी एम पंचोली की पीठ दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इनमें से एक वन्यजीव कार्यकर्ता बिरेन पंड्या ने दायर की है जबकि दूसरे में करंट लगने एवं खुले कुओं में गिरने के चलते शेरों की अप्राकृतिक मृत्यु पर स्वतं: संज्ञान लेते हुए मामले को जनहित याचिका में तब्दील किया गया। ।

संक्रमण की वजह से शेरों की मौत का मुद्दा बाद में जोड़ा गया।उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से यह भी पूछा कि उसने एक शेर के लिए अनुरक्षण राशि 95,000 रुपये ही क्यों आवंटित की जबकि बाघ के मामले में यह 15 लाख रुपये है।

सुनवाई के दौरान सोमवार को गुजरात सरकार ने अदालत को बताया कि गिर वन्यजीव अभयारण्य के प्रभावित क्षेत्रों में मवेशियों एवं कुत्तों के साथ-साथ शेरों का भी टीकाकरण किया गया।

अदालत द्वारा नियुक्त वकील हेमांग शाह ने दलील दी कि जंगल में रह रहे करीब 600 शेरों का टीकाकरण होना चाहिए।अदालत ने कहा कि मामले पर विशेषज्ञों को फैसला लेने देना चाहिए। उसने अपना आदेश बुधवार के लिए सुरक्षित रख लिया। 

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