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मनुष्य का वजूद मिटा देंगी मशीन

Posted at: Dec 16 , 2019 by Dilersamachar 9568

डा॰ विकास मानव

लगभग 8000 वर्ष पहले मनुष्यता ने कृषि क्रांति का दीदार किया था और करीब 150 साल पहले औद्योगिक क्रांति का। दोनों क्रांतियों के बीच एक लंबा अंतराल है लेकिन बाद के 90 वर्षों में प्रौद्योगिकी विकास की गति गुणात्मक रूप से तेज होती गई है।

मशीनी प्रगति की एक मजबूत झलक हमें कंप्यूटर के विकास क्रम से मिलती है जिसका शुरूआती स्वरूप केवल संगणकों का था। यह 1900 से 1920 का कालखण्ड था। अब कंप्यूटर सर्वसमर्थ बनने को तत्पर हैं। सुपर कंप्यूटर हमारे सामने हैं। आज के दौर का कंप्यूटर अपनी गणनात्मक क्षमता में चूहे के दिमाग को मात देने से संबंधित कृत्रिम बुद्धि की सीमा छू रहा है।

ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2020 तक कम्प्यूटर मानव मस्तिष्क की बराबरी कर लेगा और अगले 22 वर्षों में मनुष्य को भी पछाड़ देगा। वैज्ञानिकों का मानना है कि 2045 के आरंभ तक कंप्यूटर समूची पृथ्वी के समस्त मानवों की सम्मिलित मानसिक क्षमताओं की बराबरी कर बैठेगा।

मतलब आदमी कंप्यूटर के आगे बौना हो जायेगा। दुनियां में तब तमाम हैरत अंगेज बदलाव आयेंगे। सबसे बड़ा परिवर्तन यह होगा कि मनुष्य और मशीन कंप्यूटर का मिलन हो जायेगा। इसमें धरती पर साइबोर्गो का साम्राज्य स्थापित होगा। साईबोर्ग यानी मशीनी मानव या फिर मानवीय मशीनें। दूसरे शब्दों में मनुष्य और मानव का फ्यूजन। जी हां, तब मनुष्य महज एक सॉफ्टवेयर बनकर रह जायेगा।  बुद्धि से लैस मशीनें एक दिन मनुष्य का वजूद ही मिटा देंगी। 

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