दिलेर समाचार, दिवाली पर लक्ष्मी पूजा के साथ ही श्री सूक्त का पाठ भी किया जाए तो पूजा का फल कई गुणा बढ़ सकता है। श्री सूक्त मां लक्ष्मी की आराधना की वैदिक स्तुति है। यह ऋग्वेद में दी गई है। मान्यता है कि श्री सूक्त का पाठ एक ऐसी साधना है जो कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है, यानी इस पाठ से मनोकामना पूर्ति की संभावनाएं काफी बढ़ जाती हैं। महालक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए दिवाली के अलावा सामान्य दिनों में भी श्री सूक्त का पाठ किया जा सकता है।
श्री सूक्त संस्कृत में है, जिसका पाठ कर पाना सभी से संभव नहीं हो पाता है। संस्कृत पढ़ने में दिक्कत होती है तो हिन्दी में भी इसका पाठ किया जा सकता है।
ऊँ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्।
चन्द्रां हिरण्यमयीं लक्ष्मीं जातवेदो मऽआवह।।1।।
हे अग्निदेव। आप मेरे लिए उस लक्ष्मी देवी का आवाहन करें, जिनका वर्ण स्वर्णकांति (सोने की चमक) के समान है। जो स्वर्ण और रजत की मालाओं से अलंकृत हैं, जो परम सुंदरी हैं, गरीबी का हरण करती हैं और जो चंद्र के समान स्वर्णिम आभा से युक्त हैं।
तां म आवह जात-वेदो,लक्ष्मीमनप-गामिनीम्।
यस्यां हिरण्यं विन्देयं,गामश्वं पुरूषानहम्।।2।।
हे जातवेदा अग्निदेव। आप मेरे लिए उस लक्ष्मी को बुलाएं जो समस्त जगत में प्रसिद्ध हैं, वापस नहीं लौटती हैं, सदा साथ रहने वाली है, जिनके आगमन से मैं स्वर्ण, गौ, अश्व, बंधू-बांधव, पुत्र-पौत्र को प्राप्त कर सकूं।
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