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सावन में एक बार अवश्य करें ये काम, बदल जाएंगी आपकी किसम्मत

Posted at: Jul 22 , 2018 by Dilersamachar 9709

दिलेर समाचार, सावन में शिव की पूजा का कितना महत्व है, ये तो ज्यादातर लोगों को पता हो होगा। इस महीने में शिव की असीम कृपा पाने के लिए शिवलिंग का दूध से अभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से उनकी अपार कृपा मिलती है। इसके साथ ही इस पूजा से जातक की कुडंली में मौज़ूद सभी तरह के ग्रह दोष शांत हो जाते हैं। 

शास्त्रों के अनुसार रुद्राभिषेक की पूजा सदैव प्रशिक्षित पंडितों से ही करवानी चाहिए। क्योंकि इस महीने में भोलेनाथ की पूजा-अाराधना से व्यक्ति की हर मनोकामना, आकांक्षओं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि रुद्राभिषेक की पूजा से जीवन के नकारात्मक हालात बदल कर सकारात्मक हो जाते हैं। पौराणिक कथाओं की मानें तो, रुद्राभिषेक के जरिए पूर्व जन्मों के पापों से भी मुक्ति मिल जाती है।


शिव पुराण के अनुसार रुद्राभिषेक की पूजा के जरिए मृत्यु तक को हराया जा सकता है। साथ ही रुद्राभिषेक की पूजा से घातक बीमारियों, कर्ज़, शत्रुओं के भय आदि से भी छुटकारा मिलता है। ज्योतिष के मुताबिक अलग-अलग मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए रुद्राभिषेक की पूजा विभिन्न पदार्थों से की जाती है। आगे जानें रूद्राभिषेक पूजा में उपयोग होने वाली ज़रुरी सामग्री:

दीपक, तेल या घी, फूल, चंदन का पेस्ट, सिंदूर, धूप, कपूर, विशेष व्यंजन, खीर, फल, पान के पत्ते और मेवा, नारियल और अन्य, इसके अलावा अभिषेक के लिए इकट्ठा की गई सामग्री में पवित्र राख, ताजा दूध, दही, शहद, गुलाबजल, पंचामृत (शहद के साथ फल मिला हुआ), गन्ना का रस, निविदा नारियल का पानी, चंदन पानी, गंगाजल और अन्य सुगंधित पदार्थ जिन्हें आप अर्पण करना चाहते हैं शामिल हैं।


रूद्राभिषेक पूजा 
रुद्र अभिषेक का विस्तृत संस्करण आग में यज्ञ संबंधी वस्तुएं चढ़ाने के बाद किया जाता है। यह पुजारियों द्वारा किया जाता है। इसमें शिवलिंग को उत्तर दिशा में रखते हैं। भक्त शिवलिंग के निकट पूर्व दिशा की ओर मुंख करके बैठते हैं। अभिषेक गंगा जल से शुरू होता है और बाद में बाकी सामग्री शिवलिंग पर चढ़ाई जाती है। अंत में, भगवान को विशेष व्यंजन का भोग लगाकर आरती की जाती है। अभिषेक से एकत्रित गंगा जल को भक्तों पर छिड़का जाता है और पीने के लिए भी दिया जाता है, जिसके लिए कहा जाता है कि इससे सभी पाप और बीमारियां दूर हो जाती हैं। रूद्राभिषेक की संपूर्ण प्रक्रिया में रूद्राम या 'ओम नम: शिवाय' का जाप किया जाता है।

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