दिलेर समाचार, नई दिल्ली: मोदी सरकार ने डालमिया भारत समूह को लाल किले की देखरेख का ठेका क्या दिया, राजनीतिक बवाल खड़ा हो गया. भारत के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों के रख-रखाव के लिए निजी कंपनियों को शामिल करने की सरकार की योजना से उस वक्त बवाल खड़ा हो गया, जब सरकार ने प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित लाल किले की देखरेख का जिम्मा डालमिया भारत ग्रूप को दे दिया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार हर चीज की व्यावसायीकरण करने की कोशिश कर रही है. विपक्ष ने कहा कि आश्चर्य है कि सरकार लाल किले की देखरेख के लिए हर साल 5 करोड़ रुपये खर्च नहीं कर सकती, जिसके लिए कंपनी अगले पांच सालों तक के लिए सहमत हो गई है?
बता दें कि 17वीं शताब्दी में लाल किला धरोहर को शाहजहां ने बनवाया था. मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनाई गई 17 वीं शताब्दी की इस अज़ीम धरोहर की देखभाल अब डालमिया भारत समूह करेगा. सरकार ने डालमिया ग्रुप के साथ इसी सप्ताह एक एमओयू साइन किया है.
इतिहासकार विलिमय डालेरीम्प्ले ने अपनी नाराजगी जाहिर की और ट्वीट कर कहा कि देश के महानतम स्मारकों के रखरखाव के लिए बेहतर तरीके होने चाहिए न कि उसे कॉर्पोरेट हाउस के हाथों नीलामी करने के." इसके बाद विपक्षी नेताओं ने भी सरकार के इस कदम की न सिर्फ आलोचना की है, बल्कि जमकर हमला भी बोला है.
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और सीएम ममता बनर्जी ने ट्वीट किया कर मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि मोदी सरकार हमारे ऐतिहासिक लाल किला की देखरेख क्यों नहीं सकती है? लाल किला हमारे राष्ट्र का प्रतीक है. यह वह जगह है, जहां स्वतंत्रता दिवस के दिन तिरंगा लहराया जाता है. इसको पट्टे पर क्यों दिया गया? यह हमारे इतिहास का दुखद और काला दिन है.''
मोदी सरकार पर हमलावर रुख जारी रखते हुए कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार और बीजेपी को इस बात पर शर्म करनी चाहिए कि लाल किला की देखरेख और उसकी निगरानी के लिए उनके पास पांच करोड़ रुपये नहीं हैं. मुझे आश्चर्य होता है कि वह इस देश को कैसे चलाएंगे.
बता दें कि डालमिया ग्रुप के साथ सरकार ने 25 करोड़ का अनुबंध अगले 5 साल के लिए किया है. ऐसी ऐतिहासिक स्मारक गोद में लेने वाला भारत का ये पहला कॉर्पोरेट हाउस बन गया है।.असल में सरकार ने पिछले साल 'एडॉप्ट ए हेरिटेज' नाम की योजना शुरू की है, जिसमें 90 से अधिक राष्ट्रीय धरोहरों को चिन्हित किया गया है. माना जा रहा है कि इसके तहत जल्द ही ताजमहल को गोद लेने की प्रक्रिया भी पूरी हो जाएगी.
वहीं विपक्ष के इन आरोपों को खारिज करते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि स्मारक हमारी शान हैं, मुझे खुशी है कि कुछ लोग आए. इमारत से जुड़ी बिल्डिंग के आर्किटेक्चर से संबंधित कुछ भी काम वह सब पुरातत्व सर्वे ही करेगा. वैसे ही जैसे अब तक चला आ रहा था. भारत सरकार के पास किसी साधन या पैसे की कमी नहीं है.
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