दिलेर समाचार, विश्व जल दिवस पर हर जगह लगातार घटते भू-जलस्तर पर चिंता जताई जा रही है। इस बीच, खबर है कि मोदी सरकार नालों के गंदे पानी से करोड़ों रुपए कमाने की योजना बना रही है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने एक कार्यक्रम में इस योजना का खुलासा किया। उन्होंने बताया, 'गंगा नदी के किनारे 24 पॉवर प्रोजेक्ट हैं, जिनमें से 12 काम कर रहे हैं। ये पॉवर प्रोजेक्ट नदी या बांधों से साफ पानी ले रहे हैं।'
'अब सरकार ने इन पॉवर प्रोजेक्ट से कहा है कि वह गंगा किनारे के सीवेज वाटर को शुद्ध करके उन्हें देगी और उसी पानी से बिजली बनाई जाएगी। इस तरह नदियों और बांधों का अच्छा पानी बचाया जा सकेगा।'
इसको लेकर कैबिनेट की बैठक में चर्चा हो चुकी है। खुद गडकरी ने ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से बात की है।
साफ पानी से नहीं धुलेंगी रेलगाड़ियां
बकौल गडकरी, रेलगाड़ियां भी साफ पानी से नहीं धोई जाएंगी। इसके लिए भी गंदा पानी साफ कर सरकार रेलवे को बेचेगी।
नालों का यही पानी इंडस्ट्री को भी बेचा जाएगा। इसके बाद भी उपलब्धता बनी रहती है तो इसे सिंचाई के काम में लाया जाएगा।
नागपुर में कर चुके ऐसा
चार साल पहले नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में इस योजना को कामयाबीपूर्वक अंजाम दिया जा चुका है। चार साल पहले म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ने महाराष्ट्र सरकार को 18 करोड़ रुपए में सीवेज का पानी बेचना शुरू किया था।
इतना ही नहीं, अब टॉयलेट के पानी को लेकर करार हुआ है, जिसमें 78 करोड़ रुपए की रॉयल्टी नागपुर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को मिलेगी।
योजना के मुताबिक, यहां गंदे पानी से मिथेल निकालकर उसमें से CO2 अलग की जा रही है और सीएनजी बनाई जा रही है। इससे 50 बसें चलाई जा सकेंगी।
गडकरी का दावा है कि गंगा के सीवेज को लेकर यही योजना अपनाई गई तो 50 हजार बसें या ट्रक सीएनजी से चलाए जा सकेंगे। इससे प्रदूषण नियंत्रित होगा।
ये भी पढ़े: राज्यसभा चुनाव 2018: सत्तासीन BJP के लिए बेहद अहम है राज्यसभा चुनाव
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar