दिलेर समाचार, यरुशलम. इजराइल (Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने चुनाव नतीजे स्पष्ट नहीं होने के बावजूद संसदीय चुनावों में अपनी दक्षिणपंथी पार्टी की ‘बड़ी जीत’ होने का दावा किया है. हालांकि, हो सकता है कि उन्हें बहुमत हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़े. फेसबुक (Facebook) पर मंगलवार देर रात जारी एक बयान में नेतन्याहू ने कहा कि इजराइलियों ने ‘दक्षिणपंथ और मेरी नेतृत्व वाली लिकुड पार्टी को बड़ी जीत दी है.’
चुनाव बाद के सर्वेक्षणों में कहा जा रहा था कि लिकुड सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आएगी और चुनाव नतीजों में दक्षिणपंथी पार्टियां अपना दबदबा बनाऐंगी. नेतन्याहू ने उम्मीद जताई थी कि मंगलवार को होने वाले मतदान के चलते वे 3 बगैर नतीजों के चुनाव के बाद दक्षिणपंथी गठबंधन तैयार कर लेंगे. खास बात है कि नेतन्याहू इजराइल के सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले प्रधानमंत्री हैं.
इजराइल के तीन प्रमुख प्रसारकों के एग्जिट पोल पर आधारित अनुमानों ने बताया था कि नेतन्याहू सबसे ज्यादा सीटें जीतेंगे. प्रसारकों ने 120 सीटों वाली संसद में पीएम के बड़ी संख्या में सीटें जीतने की बात कही थी. अगर अनुमान के हिसाब से ही अंतिम नतीजे आते हैं, तो लिकुड 30 या 31 सीटें जीत सकती है. नेतन्याहू ने मंगलवार को जारी अनुमानित नतीजों को 'दक्षिणपंथ के लिए बड़ी जीत' बताया था.
दो साल में चौथे संसदीय चुनाव के लिए इजराइल में मंगलवार को मतदान शुरू हो गया था. इसे मौजूदा प्रधानमंत्री नेतन्याहू के कथित विभाजनकारी शासन को लेकर जनमत संग्रह माना जा रहा है. चुनावी सर्वेक्षण के मुताबिक इजराइल के इस चुनाव में कड़ा मुकाबला है. इस चुनाव के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार किया गया और महामारी के बीच आखिरी दौर में टेलीविजन साक्षात्कार एवं शॉपिंग मॉल में, बाजार में नेताओं ने उपस्थित होकर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश की.
अंतिम समय में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए नेताओं ने एसएमएस और फोन कॉल का सहारा लिया. इस चुनाव में नेतन्याहू ने खुद को ऐसे वैश्विक नेता के रूप में पेश किया जो देश की सुरक्षा एवं राजनयिक चुनौतियों से निपट सकता है. वह इजराइल में कोविड-19 टीके की सफलता और अरब देशों के साथ राजनयिक संबंध सुधारने के दम पर चुनाव जीतने का दावा कर रहे हैं.
वहीं नेतन्याहू के विरोधी उन पर गत एक साल में कोरोना वायरस के दौरान कुप्रबंधन का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि नेतन्याहू अपनी घोर रूढ़िवादी राजनीतिक रैलियों पर रोक लगने में नाकाम रहे जिससे वायरस का प्रसार हुआ. वे देश की खराब अर्थव्यवस्था, और बेरोजगारी को भी मुद्दा बना रहे हैं. विरोधियों का कहना है कि नेतन्याहू ऐसे समय पर शासन करने के योग्य नहीं हैं जब उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के कई मामले चल रहे हैं. हालांकि नेतन्याहू ने इन आरोपों से इनकार किया है.
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