दिलेर समाचार, नई दिल्ली। साल 2014 के चुनावों में गंगा नदी के साफ-सफाई को लेकर किए गए वादों को शायद ही कोई भूला होगा. बीते चार साल में केन्द्र सरकार ने गंगा नदी के सफाई के लिए फंड तो जारी किया लेकिन सफाई के नाम पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए. यही वजह है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने गंगा नदी की साफ - सफाई को लेकर अपना असंतोष गुरुवार को जाहिर किया.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने गुरुवार को गंगा नदी की सफाई को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा के पुनर्जीवन के लिए जमीनी स्तर पर किए गए काम पर्याप्त नहीं हैं और स्थिति में सुधार के लिए नियमित निगरानी की जरूरत है. एनजीटी ने अंसतोष जाहिर करते हुए कहा कि हालात असाधारण रूप से खराब हैं. नदी की सफाई के लिए शायद ही कोई प्रभावी कदम उठाया गया है.
अधिकरण ने अपने आदेश में कहा कि गंगा में प्रदूषण के बारे में जमीनी स्तर पर लोगों की राय जानने के लिए सर्वेक्षण कराया जाए. न्यायमूर्ति जवाद रहीम और आरएस राठौड़ की सदस्यता वाली पीठ ने कहा, ‘‘यह देश की सबसे प्रतिष्ठित नदी है जिसका सम्मान 100 करोड़ लोग करते हैं, लेकिन हम इसका संरक्षण नहीं कर पा रहे हैं. व्यवस्था को ज्यादा से ज्यादा ठोस और प्रभावी बनाने की जरूरत है. इससे पहले, एनजीटी ने गोमुख और उन्नाव के बीच गंगा नदी की सफाई के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार की ओर से उठाए गए कदमों पर निपटारा रिपोर्ट दाखिल नहीं करने को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) की खिंचाई भी की थी.
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