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November 4 2024 03:47 AM

मोदी सरकार को समर्थन अब बड़ी कीमत वसूल सकते हैं नीतीश कुमार

Posted at: Sep 17 , 2024 by Dilersamachar 9227

दिलेर समाचार, पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. एक तरफ एनडीए और इंडिया गठबंधन के घटक दलों के नेता अलग-अलग नामों से राजनीतिक यात्राएं निकाल रहे हैं. दूसरी ओर सीएम नीतीश कुमार जल्द से जल्द बोर्ड-निगम में रिक्त पदों को भरने की कोशिश में लगे हैं. अभी तक बीस सूत्री समिति और बाल संरक्षण आयोग के खाली पद भरे गए हैं. दोनों ही संस्थाओं में भाजपा और जेडीयू ने अपने लोगों को ही रखा है, लेकिन एनडीए के तीन घटक दल- चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले लोजपा के दोनों धड़े, जीतन राम मांझी की हम और उपेंद्र कुशवाहा के आरएलएम के हाथ खाली हैं. अभी और ऐसी संस्थाओं में सदस्य और अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है. माना जा रहा है कि वहां भी यही क्रम दोहराया जाएगा.

इसे एनडीए में तकरार का बीजारोपण माना जा रहा है. नीतीश कुमार लाख सफाई दें कि वे अब एनडीए छोड़ इंडिया ब्लॉक के साथ नहीं जाएंगे, लेकिन उनकी पुराने अंदाज को देख किसी को भरोसा नहीं हो रहा है. कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को अगर आंख मूंद कर समर्थन दिया है और भाजपा की हर बात अब तक मानी है तो इसकी महंगी कीमत भी वे वसूल करेंगे. भाजपा को मजबूर होकर उनकी शर्तें माननी भी पड़ेंगी. जेडीयू की पहली मांग कि नीतीश कुमार ही बिहार में एनडीए के नेता होंगे, भाजपा ने आंख मूंद कर स्वीकार कर ली है. इसकी झलक तो उसी दिन दिख गई थी, जब नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह से लौटे बिहार के उपमुख्यमंत्री और तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने पटना पहुंचते ही घोषणा कर दी कि भाजपा नीतीश के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ेगी. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी इसका खंडन नहीं किया.

एनडीए के सहयोगी दलों में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (आर) ने 40 सीटों की दावेदारी ठोक दी है. बार्गेनिंग की स्थिति में चिराग को हर जिले में एक यानी कुल 38 सीटें चाहिए. उन्होंने तो दबाव बनाने के लिए पहले ही दो सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. शेखपुरा और मटिहानी के लिए चिराग ने उम्मीदवार के नाम फाइनल कर दिए हैं. आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी कह रहे हैं कि लोकसभा चुनाव में जो गलतियां हुईं, उसे विधानसभा चुनाव में दुरुस्त करेंगे. लोकसभा चुनाव में आरएलएम को एक ही सीट मिली थी. उपेंद्र कुशवाहा खुद लड़े, लेकिन हार गए. उन्होंने बिहार यात्रा नाम से बिहार में अपनी राजनीतिक यात्रा 25 सितंबर से शुरू करने की घोषणा भी कर दी है. हम के संस्थापक जीतन राम मांझी अभी कुछ बोल नहीं रहे, लेकिन बार्गेनिंग के वे मास्टर हैं. वे भी इनकी दखादेखी इतनी सीटों की मांग कर दें, जो संभव न हो तो आश्चर्य नहीं.

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