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March 29 2023 03:49 PM

अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे अंडमान-निकोबार के ये 21 द्वीप

Posted at: Jan 23 , 2023 by Dilersamachar 9145

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज यानी सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में उन्हें समर्पित स्मारक के एक मॉडल का वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उद्घाटन किया. साथ ही पीएम मोदी ने अंडमान-निकोबार के 21 द्वीपों का शहीदों के नाम पर नामकरण किया. अब तक ये अनाम द्वीप थे, मगर आज से ये द्वीप परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाने जाएंगे. वर्चुअली इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था.

इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महतपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी. हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे. मैं सभी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं. उन्होंने आगे कहा कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण हुआ है.इन 21 द्वीपों को 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा. जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस रहे थे, वहां पर उनके जीवन और योगदानों को समर्पित राष्ट्रीय स्मारक का अनावरण किया गया है.

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सेल्यूलर जेल की कोठरियों से आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर सुनाई पड़ते हैं. अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था. इस धरती पर पहली आजाद भारतीय सरकार का गठन हुआ था. इस सबके साथ अंडमान की इस धरती पर वीर सावरकर और उनके जैसे अनगिनत वीरों ने देश के लिए बलिदानों की पराकाष्ठा को छुआ था. दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी, यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया. आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने ‘कर्तव्य पथ’ पर नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है.

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद सम्मान के साथ देश के गौरव के समान सुभाष बाबू की मूर्ति लगाने का काम किया. आज के दिन को पराक्रम दिन घोषित करने का काम किया. यह दुर्भाग्य रहा कि सुभाष बाबू को भुलाने का बहुत प्रयास किया गया मगर कहते हैं कि जो जो वीर होते हैं वो अपनी स्मृति के लिए किसी के मोहताज नहीं होते हैं. वो स्मृति उनकी वीरता के साथ ही होती है.

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