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BREAKING NEWS : ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का लगाया पता

Posted at: Sep 8 , 2019 by Dilersamachar 9844

दिलेर समाचार, नई दिल्ली: इसरो प्रमुख के. सीवन ने रविवार को जानकारी दी कि ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है. ऑर्बिटर ने लैंडर की थर्मल इमेज भी खींची है, लेकिन ऑर्बिटर का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया. न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इसरो प्रमुख ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा, 'ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर का पता लगा लिया है. उसने लैंडर की थर्मल इमेज भी खींची है, लेकिन ऑर्बिटर का उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया. हम लोग संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं. जल्द ही उससे संपर्क स्थापित हो जाएगा.'

 

बता दें, चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने के भारत के साहसिक कदम को शनिवार तड़के उस वक्त झटका लगा जब चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम' से चांद की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर संपर्क टूट गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक लैंडर ‘विक्रम' चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव की तरफ बढ़ रहा था और उसकी सतह को छूने से महज कुछ सेकंड ही दूर था तभी 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने पर उसका जमीन से संपर्क टूट गया. इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों में हताशा जरूर नजर आई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश उनके साथ खड़ा दिखा. प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इससे हताश होने की जरूरत नहीं है.

करीब एक दशक पहले इस चंद्रयान-2 मिशन की परिकल्पना की गई थी और 978 करोड़ के इस अभियान के तहत चंद्रमा के अनछुए दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला भारत पहला देश होता. पीएम मोदी ने इसरो के मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) परिसर में शनिवार सुबह छह घंटे के अंदर दूसरी बार वैज्ञानिकों को संबोधित किया और वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि वे मिशन में आई रुकावटों के कारण अपना दिल छोटा नहीं करें, क्योंकि ‘‘नई सुबह होगी और उज्ज्वल कल होगा.'' उन्होंने कहा कि देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ आना अभी बाकी है.

उन्होंने कहा कि देश को वैज्ञानिकों पर गर्व है और देश उनके साथ खड़ा है. पीएम मोदी ने कहा, ‘‘हम बहुत करीब पहुंच गए थे लेकिन अभी हमें और आगे जाना होगा. आज से मिली सीख हमें और मजबूत तथा बेहतर बनाएगी. देश को हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रमों और वैज्ञानिकों पर गर्व है. हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभी सर्वश्रेष्ठ आना बाकी है. खोज करने के लिये नए क्षितिज हैं और जाने के लिए नई जगहें. भारत आपके साथ है.'

लैंडर विक्रम का वजन 1471 किलोग्राम था और इसे नियंत्रित तरीके से नीचे लाने की प्रक्रिया ‘रफ ब्रेक्रिंग' के साथ शुरू हुई और इसने 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई रह जाने तक ‘फाइन ब्रेक्रिंग' के चरण को सही तरीके से पूरा किया जिसे 'जटिल और भयावह' माना जाता है, लेकिन यहां के बाद एक बयान ने मिशन कंट्रोल सेंटर में मौजूद चेहरों पर निराशा की लकीर खींच दी कि ‘विक्रम' के साथ संपर्क टूट गया है.  चंद्रयान-2 ने 22 जुलाई को प्रक्षेपण के बाद 47 दिनों तक विभिन्न प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक पूरा करने के साथ करीब चार लाख किलोमीटर की दूरी तय की लेकिन इसरो अध्यक्ष के सिवन द्वारा प्रधानमंत्री की मौजूदगी में संपर्क टूटने की घोषणा किये जाने के बाद वहां मौजूद वैज्ञानिकों में हताशा साफ दिख रही थी.

सिवन ने कहा, 'विक्रम' लैंडर को चांद की सतह की तरफ लाने की प्रक्रिया योजना के अनुरूप और सामान्य देखी गई, लेकिन जब यह चंद्र सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर था, तभी इसका जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया.' इसरो के टेलीमिट्री ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (इसट्रैक) के कंट्रोल सेंटर में उन्होंने कहा, ‘डेटा का अध्ययन किया जा रहा है.'

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