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क्या आपको ये पता है कि हमारे शरीर में जितनी भी बीमारियां होती हैं, उनकी मुख्य 3 वजह ही होती है, “वात, पित्त और कफ”.
कोई बीमारी ‘बात’ की वजह से तो कोई ‘पित्त’ की वजह से कोई ‘कफ’ की वजह से होती है. इसके अलावा कुछ और नहीं है. अगर हम अपने शरीर में इन तीनों को सम मे लाने में सार्थक होते हैं, तो कोई भी बीमारी हमें छू नहीं सकता.
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दोस्तों शायद आपको पता ना हो – जो हार्ट से जुड़ी बीमारियाँ होती हैं उसका जड़ ‘वात’ होता है. अगर हम ‘वात’ को कंट्रोल में रखें तो हार्ट से जुड़ी बीमारियाँ हम से कोसों दूर रहेगी. हार्ट
ये बात तो सबको पता है की हार्ट से जुड़ी बीमारियाँ जिसमे डॉक्टर तेल नहीं खाने, कम खाने या फिर रिफाइंड तेलों का सेवन करने की सलाह देते हैं. लेकिन आज हम आपको इस बात की गारंटी देते हुए ये सलाह देंगे कि आप तेल का इस्तेमाल करें. ये आपको बचाएगा हार्टअटैक की समस्या से. जान कर आपको हैरानी होगी. लेकिन यही सच है.
दोस्तों ‘वात’ को अच्छा रखने वाली सबसे अच्छी चीज अगर कोई है, तो वो है तेल. लेकिन वो शुद्ध तेल हीं होना चाहिए. जो रिफाइन किया हुआ या फिर डबल रिफाइन किया हुआ ना हो. शुद्ध तेल मतलब पूरी तरह शुद्ध. घानी में तैयार किया हुआ शुद्ध तेल.
1 – किसी भी तेल को रिफाइन करने के लिए 6 – 7 तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है.
2 – किसी भी तेल को डबल रिफाइन करने में 12 – 13 तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है.
3 – ये सभी केमिकल मनुष्य द्वारा प्रयोगशाला में बनाए गए हैं. दोस्तों ध्यान दें की भगवान यानी प्रकृति का बनाया हुआ एक भी केमिकल तेल को रिफाइंड नहीं कर सकता. जितने भी केमिकल का उपयोग तेल को साफ करने के लिए किया जाता है वह सब के सब इनऑर्गेनिक है.
4 – रिफाइन करने से तेल के सारे घटक, यानी कि सारे पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं.
याद करें आज से 20 – 25 साल पहले हमारे घरों में तेल और घी का भरपूर मात्रा में प्रयोग किया जाता था. लेकिन पहले के लोगों में हार्ट की समस्या नहीं के बराबर थी. लेकिन सोचने वाली बात है कि ये समस्या आज इतने बड़े लेवल पर कैसे पहुंच गई ?
इसका बड़ा ही सरल सा जवाब आपको मिलेगा, कि आज हम जिन भी भोज्य पदार्थों का सेवन करते हैं वो ज्यादातर इनऑर्गेनिक होते हैं. पहले के लोग ज्यादा से ज्यादा शुद्ध चीजों का इस्तेमाल करते थे. इसलिए वो ज्यादा हेल्दी होते थे. लोगों की उम्र भी पहले से काफी घट गई है. जहां पहले के लोग सौ वर्ष से भी ज्यादा तक जीते थे, आज के लोगों के लिए वो एक सपना सा बन गया है. क्योंकि हम अपने आप को प्रकृति से दूर करते जा रहे हैं.
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