दिलेर समाचार, नई दिल्ली। असम में नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स(NRC) लागू हो चुका है। इसके बाद प्रदेश के 19 लाख से ज्यादा लोग NRC सूची से बाहर हो चुके हैं। इन लोगों के भारतीय नागरिक होने पर सवाल खड़े हो गए हैं। इस बीच चुनाव आयोग ने बड़ा फैसला लेते हुए NRC से बाहर लोगों को राहत दी है। इन सभी लोगों के पास मतदान का अधिकार रहेगा, जब तक नागरिक ट्रिब्यूनल उनके खिलाफ फैसला नहीं सुना देता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चुनाव आयोग ने तय किया है कि नागरिक ट्रिब्यूनल का जब तक फैसला नहीं आ जाता है तब तक हर एक मतदाता को वोट डालने का अधिकार रहेगा।
बता दें कि असम में 31 अगस्त को NRC की फाइनल सूची जारी कर दी गई थी। इसके बाद से ही वहां कि सियासत भी गरमाई हुई है। लिस्ट से बाहर हुए लोगों ने नागरिक ट्रिब्यूनल में अपना दावा रखा है, जिस पर सुनवाई चल रही है।
देशभर में गरम होने लगा NRC का मुद्दा
देश में अवैध तरीके से रहने वाले विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए असम में NRC लागू किया गया है। इसे लेकर राज्यों की अलग अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। कुछ राज्य जहां NRC लागू करने के पक्ष में हैं तो वहीं कुछ राज्यों में इसे लेकर जमकर नाराजगी नजर आई है। हाल ही में दिल्ली की सियासत भी एनआरसी के मुद्दे पर CM अरविंद केजरीवाल के एक बयान के बाद गरमा गई थी। अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि अगर दिल्ली में NRC लागू कर दिया जाता है तो सबसे पहले दिल्ली के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को दिल्ली छोड़नी पड़ेगी। बता दें कि मनोज तिवारी ने दिल्ली में NRC लागू करने की वकालत की थी।
इस बयान के बाद केजरीवाल के घर के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा गुरुवार को बड़ा प्रदर्शन भी किया गया था। इसके बाद कई कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी हुई थी।
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