दिलेर समाचार, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अपने पुराने दिन याद करते हुए कहा कि उनकी मां के लिए उनका प्रधानमंत्री बनना बड़ी बात नहीं थी. उन्होंने कहा कि उनका गुजरात (Gujarat) का सीएम बनना उनके लिए खुशी का पल था. 'Humans of Bombay' नाम के फेसबुक पेज को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने अपने पुराने दिन याद किए हैं. उन्होंने कहा, 'बहुत लोग पूछते हैं कि जब मैं पीएम बना तो मेरी मां को कैसा लगा. उस वक्त 'मोदी' नाम हवा में गूंज रहा था, मेरी तस्वीरें छापी जा रही थीं, चारों तरफ खूब उत्साह था. लेकिन मैं सोचता हूं कि मेरी मां के लिए बड़ा पल वह था, जब मैं गुजरात को मुख्यमंत्री बना.' पीएम मोदी ने कहा कि वह उस वक्त दिल्ली में रहते थे, जब उन्हें पता लगा कि उन्हें गुजरात में बड़ा पद दिया जा रहा है.
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पीएम मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले मैं मेरी मां से मिलने पहुंचा, जो मेरे भाई के साथ रहती थीं. अहमदाबाद पहुंचा तो चारों तरफ सेलेब्रेशन शुरू हो गया. मेरी मां को पहले से पता लग गया था कि मैं राज्य का मुख्यमंत्री बनने जा रहा हूं. पीएम मोदी ने कहा, 'जब मैं उनसे मिलने गया तो मेरी मां ने मेरी ओर देखा और गले लगा लिया और मुझे कहा कि अच्छी चीज यह है कि अब तुम गुजरात वापस आ गए. यह एक मां का स्वभाव है. उन्हें कोई मतलब नहीं होता कि उनके आसपास क्या हो रहा है. वह अपने बच्चों के करीब रहना चाहती है. इसके बाद उन्होंने मुझसे कहा देख भाई मुझे नहीं पता कि तुम क्या करोगे, लेकिन मुझसे वादा करो कि तुम कभी भी रिश्वत नहीं लोगे, वह पाप कभी नहीं करोगे. इन शब्दों ने मुझ पर काफी असर डाला और मैं बताता हूं क्यों. एक महिला जिसने अपना पूरा जीवन गरीबी में काटा है, जिसके पास भौतिक सुख-साधन नहीं है, उसने ऐसे मौके पर मुझे रिश्वत नहीं लेने के लिए कहा.'
बता दें, इस फेसबुक पेज पर पीएम मोदी के इंटरव्यू को पांच हिस्सों में जारी किया जाएगा, अभी तक चार हिस्से आ चुके हैं. तीसरे हिस्से में उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद किया था. उन्होंने हिमालय में बिताए अपने दो सालों के बारे में भी बातचीत की थी. पीएम मोदी ने बताया था कि उनका राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तरफ रुझान कैसे हुआ.
पीएम मोदी ने हिमालय से वापस लौटने के बाद की जिंदगी के बारे में बात करते हुए कहा था, 'हिमालय से वापस आने के बाद मैंने जाना कि मेरी जिंदगी दूसरों की सेवा के लिए है. लौटने के कुछ समय बाद ही मैं अहमदाबाद चला गया. मेरी जिंदगी अलग तरह की थी, मैं पहली बार किसी बड़े शहर में रह रहा था. वहां मैं मेरे अंकल की कैंटीन में कभी-कभी उनकी मदद करता था. आखिरकार मैं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का फुल टाइम प्रचारक बन गया. वहां पर मुझे जिंदगी के अलग-अलग क्षेत्रों से ताल्लुक रखने वाले लोगों से संपर्क में आने का मौका मिला और वहां मैंने काफी काम भी किया. आरएसएस ऑफिस को साफ करने, साथियों के लिए चाय-खाना बनाने और बर्तन धोने की सबकी बारी आती थी.'
पीएम मोदी ने कहा कि वह हिमालय में मिली शांति को नहीं भूलना चाहते थे. इसलिए उन्होंने जिंदगी में संतुलन बनाने के लिए हर साल से पांच दिन निकलाकर अकेले में बिताने का फैसला किया.
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