दिलेर समाचार, अहमदाबाद। गांधीनगर अक्षरधाम मंदिर के रजत जयंती महोत्सव में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिवंगत प्रमुख स्वामी महाराज के साथ आध्यात्मिक रिश्ते को याद कर भावुक होगए। पीएम ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि सरकार की तुलना में उन्होंने संप्रदाय में अनुशासन व समय प्रबंधन को प्रतिबद्धता से लागू किया। मोदी ने यहां आकर लाखों हरि भक्तों के साथ इस संप्रदाय से जुडे पाटीदार समाज का भी दिल जीत लिया।
गांधीनगर में करीब 23 एकड में फैले अक्षरधाम मंदिर की अध्यात्मिक शक्ति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मंदिर के सामने बने अपने सीएम आवास से आते व जाते ऐसा कोई दिन नहीं होता था जब वह मंदिर पर लगे कलश के दर्शन नहीं करते हों।
मोदी ने कहा देश में रामकृष्ण मिशन के बाद स्वामीनारायण संप्रदाय ऐसी संस्था है जिसमें 1100 से अधिक प्रशिक्षित संत हैं। मोदी ने यहां प्रमुख स्वामी महाराज की दूरदर्शिता व प्रबंधन कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने मंदिरों के निर्माण में आधुनिक तकनीक व सुविधाओं का इस्तेमाल किया लेकिन संतों के लिए संस्कृत, योग के साथ वहीं 18वीं सदी के नियम बनाए।
मोदी ने कहा मंदिर बनाने के लिए उन्होंने सेवा, त्याग के साथ परिश्रम की पराकाष्ठा को पार कर दिया, मंदिर में बच्चों के लिए खेल के साधन, थ्री डी थियेटर के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता लेकिन उन्हाोंने इसे कर दिखाया। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि प्रमुख स्वामी जी उनके पिता तुल्य थे, उनका आशीर्वाद हमेशा रहा तथा वे सतत उनके विकास की चिंता करते थे।
एक बार उनहोंने उनके भाषणों की सीडी मंगवाई और कुछ दिन बाद फोन कर मिलने आने को कहा। जब मोदी उनसे मिलने पहुंचे तो उनहोंने मोदी से कहा कि आपके भाषणों में ये शब्द नहीं होने चाहिए थे। एक बार मोदी ने एक समारोह में प्रमुख स्वामी के नीचे लटक रहे पैर को ऊपर उठाया तो उन्होंने मोदी से कहा कि मेरे और आपके नसीब में जीवन भर सेवा ही लिखी है।
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