दिलेर समाचार, हैदराबाद. कोरोना (Corona) से बचने के लिए भारत में तरह-तरह के नुस्खे अपनाए गए हैं. लगातार अपनाए जा रहे हैं. इन्हीं में एक है गिलोय (Giloy) का सेवन. गिलोय को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला बताया जाता है. साथ में यह भी कहा जाता है कि चूंकि यह आयुर्वेदिक औषधि है, इसलिए इसके इस्तेमाल से कोई नुकसान भी नहीं होता. लेकिन भारत में ही हुए एक ताजातरीन शोध-अध्ययन की मानें तो यह दूसरा वाला निष्कर्ष यानी कोई नुकसान न होने वाली बात, सही नहीं है. जानते हैं, क्या कहते हैं विशेषज्ञ
जानकारों के अनुसार, गिलोय (Giloy) का वैज्ञानिक नाम टाइनोस्पोरा कॉर्डिफोलिया (Tinospora Cordifolia) है. इसे लेकर हैदराबाद सहित देश के 13 शहरों में शोध हुआ है. एशियन इंस्ट्रीट्यूट ऑफ गेस्ट्रोएंटेरोलॉजी, हैदराबाद (Asian Institute of Gastroenterology) सहित कुछ अग्रणी संस्थानों ने मिलकर यह अध्ययन किया है. इसके निष्कर्ष हेपेटोलॉजी कम्युनिकेशंस नामक विज्ञान-पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं. इस शोध में शामिल रहे एक विशेषज्ञ ने बताया, ‘हमने 43 मरीजों के बारे में अध्ययन किया. इनमें आधे से अधिक महिलाएं थीं. उन्होंने जब से पहली बार गिलोय लेना शुरू की थी, उसके 46 दिनों के भीतर उनके भीतर इसके सेवन के दुष्परिणाम दिखने लगे.’
वे बताते हैं कि करीब 67.4% मरीजों में लिवर में गिलोय (Giloy) के लगातार सेवन की वजह से नुकसान देखा गया. कई मरीजों में तो स्थिति इतनी गंभीर दिखी कि उनका लिवर फेल होने के करीब पहुंच गया. कई लोगों में हेपेटाइटिस की बीमारी के लक्षण भी नजर आए. हालांकि वे अभी आगे इस मामले में और अध्ययन की जरूरत बताते हैं. हालांकि वे इसके साथ गिलोय (Giloy) के सीमित और डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस्तेमाल का मशविरा भी देते हैं.
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