दिलेर समाचार, नई दिल्ली। कांग्रेस ने कहा है कि राफेल सौदा दो सरकारों के बीच नहीं है, क्योंकि इसके लिए बातचीत में फ्रांस की सरकार कहीं शामिल नहीं थी। इसने यह भी कहा कि अगर यह सरकारों के बीच का समझौता है, तो नरेंद्र मोदी सरकार और दासौ को तथ्यों के साथ जवाब देना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार जितनी भी कोशिश कर ले, सच को नहीं दबा सकती।
उन्होंने दासौ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एरिक ट्रैपियर पर गलतबयानी करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि ट्रैपियर ने जो कहा है वह झूठ है। मैं तथ्यों के साथ उनकी गलतबयानी को साबित कर रहा हूं। 28 मार्च, 2015 को रिलायंस डिफेंस का गठन हुआ। 24 अप्रैल, 2015 को इसकी इकाई रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर का गठन हुआ। अगर 24 अप्रैल से पहले ट्रैपियर को कंपनी के गठन का पता नहीं था तो फिर संयुक्त उपक्रम कैसे हुआ?
सिब्बल ने कहा, "ट्रैपियर ने कहा है कि रिलायंस डिफेंस के पास जमीन थी। इसलिए उसके साथ सौदा किया गया। जबकि जून, 2015 में रिलायंस ने जमीन के लिए आवेदन किया। 29 अगस्त, 2015 को जमीन आवंटित हुई। फिर दासौ को अप्रैल में कैसे पता चला कि उसके पास जमीन थी?"
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