दिलेर समाचार, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के साथ ही फिलहाल यह साफ हो गया कि राफेल सौदा पूरी तरह खरा है और इसकी सौदेबाजी में कहीं कोई खोट नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष के आरोप खारिज हुए साथ ही आरोपों से घिरी मोदी सरकार को भी काफी राहत मिली है। विपक्ष के धारदार आरोपों का जवाब सत्तापक्ष को सुप्रीम कोर्ट के जरिए मिल गया है।
आखिर क्या है समझौता
सूत्रों के अनुसार भारत और फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान की खरीद संबंधी जो समझौता हुआ है उसके मुताबिक भारत फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदेगा। इसकी कुल कीमत 7.9 बिलियन यूरो अर्थात लगभग 59 हज़ार करोड़ रुपये होगी। भारत को इसके साथ स्पेयर पार्ट और मेटोर मिसाइल जैसे उन्नत हथियार भी प्राप्त होंगे। राफेल विमानों का निर्माण फ्रांस की डेसॉल्ट एविएशन कंपनी ने किया है।
1- वाजपेयी सरकार में बने लड़ाकू विमान खरीद के प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए यूपीए सरकार ने अगस्त 2007 में 126 विमानों की खरीद को मंजूरी दी। उसके बाद लड़ाकू विमानों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई। इस हेतु परिक्षण में अमेरिका के बोर्इंग एफ/ए−18ई/एफ सुपर हार्नेट तथा लॉकहीड मार्टिन एफ−16 फाल्कन, रूस का मिखोयान मिग−35, स्वीडन का साब जैस−39 ग्रिपेन और फ्रांस का डेसॉल्ट राफेल विमान शामिल हुए थे
। इन छह फाइटर जेट्स के बीच राफेल का चुनाव किया गया था, क्योंकि राफेल विमान कीमत तथा रखरखाव के लिहाज से अन्य विमानों की तुलना में काफी सस्ता था। चयन प्रक्रिया 2011 में पूरी हो पाई और 2012 में डेसॉल्ट एविएशन से सौदे पर चर्चा शुरू हुई।
ये भी पढ़े: 2015-18 में पॉजिटिव मिले अलकोहल जांच में 181 पायलट
Copyright © 2016-24. All rights reserved. Powered by Dilersamachar