दिलेर समाचार, जयपुर। गुर्जर सहित पांच जातियों को आरक्षण देने के लिए पिछले दिनों राजस्थान विधानसभा में पारित विधेयक के क्रियान्वयन पर हाई कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी। सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि नेता देश को बांट रहे हैं। राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस तरह के विधेयक लेकर आते हैं।
इस विधेयक को असैंवधानिक बताते हुए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद आरक्षण विधेयक पारित कराया गया। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के न्यायाधीश केएस झवेरी और वीके व्यास की खंडपीठ ने ओबीसी आरक्षण विधेयक, 2017 के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
न्यायालय में तर्क दिया गया कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण विधेयक, 2017 के जरिए गुर्जर, रैबारी, रायका, लुहार आदि जातियों को पांच फीसद आरक्षण देने के लिए कुल आरक्षण का कोटा 35 फीसद किया जाना इंदिरा साहनी और एम. नागराज मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, सरकार 50 फीसद से अधिक आरक्षण नहीं दे सकती। यही नहीं, विधेयक पास कराने से पहले राज्य में आरक्षण की सीमा 49 फीसद थी जो बढ़कर 54 फीसद हो गई। याचिका में कहा गया कि 2015 में भी आरक्षण अधिनियम के तहत आरक्षण 50 फीसद से अधिक दिया गया था, जिसे हाई कोर्ट रद्द कर चुका है।
हाई कोर्ट के इस आदेश को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौति दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा है। राज्य सरकार ने एसएलपी लंबित रखते हुए नया विधेयक विधानसभा में पारित कराया, ऐसे में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाई जाए ।
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