दिलेर समाचार, तारा आर्य। श्रीराम जन्मभूमि पूजन और केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति पर समाज सेवी संजय मित्तल (डायरेक्टर कैलाश चंद वर्क वाला) ने कहा है कि राम मंदिर भूमि पूजन का दिन बड़े त्योहार से कम नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार का सिर्फ कानूनी ही नहीं सांस्कृतिक पक्ष और जिम्मेदरियां भी होती है, जो हमारी सरकार ने बखूबी निभाई है. राम मंदिर पर फैसला आने के बाद मैं काफी खुश हूं. समाज सेवी संजय मित्तल ने राम मंदिर भूमि पूजन और सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर दिलेर समाचार से खास बातचीत की। पढ़े बातचीत के प्रमुख अंश....
सवालः जब सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया की अयोध्या में विवादित भूमि पर राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा, तब आपका क्या रिएक्शन था?
जवाबः जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था तभी ये साफ हो गया था की सरकार काफी अच्छी दिशा में कार्य कर रही है. किसी भी सरकार का सिर्फ कानूनी ही नहीं सांस्कृतिक पक्ष और जिम्मेदरियां भी होती है, जो हमारी सरकार ने बखूबी निभाई है. इस फैसले के आने के बाद मुझे अपार हर्ष हुआ की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला राम मंदिर के पक्ष में दिया है.
सवालः 5 अगस्त को राम मंदिर की नीव रखी जाएगी, कोरोना काल के चलते मंदिर ट्रस्ट ने भक्तों से अयोध्या न आने की अपील की है, ऐसे में इस भव्य उत्सव को आप कैसे मनाने वाले हैं?
जवाबः मेरा ये कहना है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भारतवर्ष को डिजिटलीकरण की ओर मोड़ दिया है, बहुत जल्दी हम विश्व गुरु भी बनने वाले हैं, तो अभी जो वर्चुअल वर्ल्ड बना है कोरोनाकाल का ख्याल रखते हुए देशभर में राम मंदिर भूमि पूजन का दिन विशाल उत्सव की तरह मनाया जाएगा. पूरे देश में खुशी का माहौल है.
सवालः राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन का दिन आप कैसे देखते हैं?
जवाबः पूरा भारतवर्ष प्रसन्न और उत्साहित है, क्योंकि श्रीराम हमारी अनन्त मर्यादाओं के प्रतिक पुरुष हैं और हमारी संस्कृति में प्रभू श्रीराम जैसा दूसरा चरित्रा हुआ ही नहीं है, क्योंकि प्रभू श्रीराम इतने मर्यादित थे, धीरवीर थे, न्याय प्रिय थे और प्रशांत थे, उन्हें बोला भी जाता था मर्यादा पुरुषोत्तम राम तो इस भव्य दिवस को मैं सभी देशवासियों के लिए गर्व की तरह देखता हूं ये दिन ऐतिहासिक है.
सवाल: जो नई शिक्षा नीति सरकार लाई है उस पर आपका क्या विचार है?
जवाब: मैं सरकार की नई शिक्षा नीति का स्वागत करता हूं. हमारी खुशकिस्मती है कि हमें माननीय नरेंद्र मोदी जैसे प्रधानमंत्री मिले हैं. शिक्षा हमारी बुनियादी जरुरत है. हमारी जो पुरानी शिक्षा नीति थी वो लगभग बिखरकर गिरने वाली थी. नई शिक्षा नीति जो आई है उस पर GDP (सकल घरेलू उत्पाद) का 6% खर्च होने वाला है, जो लगभग पहले 3% था, तो ये बहुत बड़ी उपलब्धि है. 10+2 के पैटर्न को 5+3+3+4 कर दिया है जो लगभग यूरोप की शिक्षा नीति से मिलता-जुलता है. मैं सरकार के इस फैसले का स्वागत करता हूं, नया भारत हमें जल्द नजर आएगा.
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