दिलेर समाचार, अशोक गुप्ता, आजकल बड़े बड़े रेस्तराँ में पकवानांे के नाम ‘अंग्रेजी’ में रखकर यह साबित किया जाता है कि जब तक हम जैसे समझदार बेवकूफ रहेंगे, ये होशियार कभी भूखे नहीं मरेंगे...
अब देखिये कुछ डिश के नाम
रोसेटो अल्जफर्नो ः
और ये डिश है भात और लाल साग मिला हुआ..
दाम 375 रूपये।
नाचोस विद सालसा..
यह है नमकीन खस्ता..
कच्चे टमाटर की चटनी के साथ... दाम 195 रूपये..
अब खस्ता और टमाटर चटनी बोलने से कोई 195 रूपये तो नहीं देगा न..
‘कच्चे टमाटर की चटनी के साथ खस्ता खा रहा हूँ’ बोलने में शर्म आती है।
सिनोमिना सुफले ः
सूजी का हलवा है दाम 175...
चावल के मांड़ को भी ‘राइस सूप विथ लेमन ग्रास’ बोलकर 150 में परोस देते हैं और ये कूल ड्यूड बड़े इतरा कर बोलते हैं।
ष्प् ंउ ींअपदह तपबम ेवनच ूपजी छ।ब्भ्व्ै ॅप्ज्भ् ै।स्ै।....स्व्स्!!!ष्
अब यह कोई थोड़े ही बोलेगा कि माँड पी रहें हैं खस्ता के साथ।
एक डिश है इंडिलाचा
सब्जी से भरे हुए पराठा को कहते हैं... 200 रूपये का..
‘सतुआ’ बोलोगे तो लोग गंवार बोल बड़ी हीन दृष्टि से देखेंगे लेकिन ...
श्ळतंउ रनपबम ूपजी चमचचमतश्
बोलने से स्टैंडर्ड बढ़ जायेगा..
कुकर में उबले हुए 5 रूपया के भुट्टे को 50 रूपया में ‘स्वीट कार्न’ बोलकर बेच देते हैं और लोग भी शान से खाते हैं३.अंग्रेजी और अंग्रेजियत के आधुनिक गुलामों को नमन् !
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