दिलेर समाचार, शुभांगी। पिछले अंश में मैंने देश के सर्वोप्रिय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एवं पीएम मोदी के सकारात्मक पहलू दिखाते हुए दोनों की समानताओं पर प्रकाश डाला था। इस अंश में मैं दोनों के नकारात्मक पहलू में दोनों की समान खामियों के बारे में आपको बताऊंगी।
नकारात्मक पहलू
दोनों ही नेताओं ने अपने समय में न्यायालय की अवहेलना की है। जिसका मुख्य कारण ये था कि दोनों ही नेताओं ने ऐसी जीत दर्ज की जिसमें लोकसभा में विपक्ष न के बराबर था।
इंदिरा ने अपने समय में कई संशोधन किए , चाहे वो संविधान के खिलाफ उचित हो या अनुचित। वैसे ही मोदी ने कई निर्णय ऐसे लिए जो सर्वोच्च न्यायालय के विपरित गए, जैसे आरक्षण से जुड़ा मुद्दा (जैसे पद्दोन्नति में आरक्षण)। मोदी व इंदिरा गांधी के समय न्यायपालिका के स्तर में काफी हद तक गिरावट देखी गई।
दोनों ही नेता अपने को सर्वोपरि मानते हैं और ये साबित भी किया है जैसे इंदिरा ने आपातकाल लागू करके तथा शाह आयोग द्वारा इंदिरा गांधी से पूछताछ में इंदिरा ने आपातकाल की जांच से साफ इनकार कर दिया। उसी तरह मोदी को किसी मुद्दे जैसे शिक्षा व बेरोजगारी से जुड़ा मुद्दा या पेपर लीक की बात हो तो इन मुद्दों पर उनसे जवाब मागंने पर वो जवाब देने से बचते हैं और न हीं इस मामले में कोई कार्यवाही करने की बात करते हैं। और यदि कभी वो जनता से रूबरू होते हैं तो सिर्फ अपनी मन की बात के लिए। ये दोनों ही उदाहरण सर्वोपरि की ही मिसाल देते हैं।
दोनों के समय में देश के कुछ जनसमूह उनके कार्यों से संतुष्ट नहीं थे। जैसे इंदिरा के समय में रैली प्रदर्शन एवं आंदोलन हो रहे थे। गुजरात व बिहार में छात्र आंदोलन चल रहे थे । रेल कर्मचारी हड़ताल पर बैठे थे जिसमें विपक्ष ने पूरा साथ दिया। ऐसा ही नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हो रहा है । जैसे हर दिन होने वाले किसान आंदोलन एवं दिल्ली में छात्रों के आंदोलन दोनों के समय में ही लोकतंत्र में कमी आई।
अगर गौर करें तो समानताएं कई हैं चाहे वो नकारात्मक हो या सकारात्मक पर अंतर भी हैं, और अंतर ये हैं कि इंदिरा के समय भ्रष्टाचार ज्यादा हो गया था जबकि नरेंद्र मोदी के समय भ्रष्टाचार में कमी आई।
इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता पर जब खतरा मंडराते देखा तो उन्होंने आपातकाल की घोषणा कर दी। वहीं नरेंद्र मोदी देश की प्रतिष्ठा के लिए पूरे विश्व से हाथ मिला रहे हैं।
एक चौंकाने वाली बात ये भी थी कि आपातकाल के बाद जब चुनाव हुए उसमें लगभग कुछ समय बाद ही इंदिरा गांधी ने जीत दर्ज की और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जनता समझ गई थी की देश को बेहतर कौशल नेत्रित्व करता की जरूरत हैं। जो महागठबंधन में किसी के पास भी नहीं थी। वही मोदी आज के समय में एक मात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत देश को अपने प्रबंधन कौशल से विकास में आगे ले जाने में सक्षम हैं । और ये काबिलियत मोदी के खिलाफ बनें महागठबंधन में किसी भी व्यक्ति के पास नहीं हैं जो देश का नेत्रत्व कर सके।
देखते हैं आने वाले कल में क्या छिपा हैं? और कितनी समानताएं हैं इंदिरा व मोदी में...
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