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समाज में बढ़ती असहिष्णुता से सुप्रीम कोर्ट चिंतित

Posted at: Apr 12 , 2019 by Dilersamachar 9808
दिलेर समाचार, कला का उद्देश्य ‘सवाल उठाना और ललकारना’ होता है, लेकिन समाज में असहिष्णुता बढ़ रही है और संगठित समूह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहे हैं। यह टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को चिंता जताते हुए कहा, कला-साहित्य, असहिष्णुता का शिकार होते रहेंगे, अगर राज्य कलाकारों के अधिकारों का संरक्षण न करें।  जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ एक बांग्ला फिल्म पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा, समकालीन घटनाओं से पता चलता है कि समाज में एक तरह की असहिष्णुता बढ़ रही है। यह असहिष्णुता समाज में दूसरों के अधिकारों को अस्वीकार कर रही है, उनके विचारों को स्वतंत्र रूप से चित्रित करने और उन्हें प्रिंट, थिएटर या सेल्युलाइड मीडिया में पेश करने के अधिकार को खारिज कर रही है।

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स्वतंत्र भाषण और अभिव्यक्ति के अधिकार के अस्तित्व के लिए संगठित समूहों और हितों ने एक गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। पीठ ने कहा कि सत्ता शक्ति को यह ध्यान रखना चाहिए कि हम लोकतंत्र में महज इसलिए रहते हैं, क्योंकि संविधान की तरफ से हर नागरिक की वृहद स्वतंत्रता को मान्यता दी गई है।

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