दिलेर समाचार, नई दिल्ली: चुनाव के दौरान मुफ्त की योजनाओं की घोषणा और बाद में उनके अमल से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने अब मामले को 3 जजों की बेंच के पास भेजा दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार दोनों ने अपना पक्ष रखा.
CJI ने कहा इस मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरी है. इस बात से इनकार नही किया जा सकता है, मतदाता तय करता है कि कौन सी पार्टी जीतेगी. लोकतंत्र में असल ताकत मतदाता के पास है. मुफ्त सुविधाओं की घोषणा ऐसी स्थिति पैदा कर सकती है कि राज्य की आर्थिक सेहत बिगड़ जाए. लेकिन बड़ा सवाल है कि कोर्ट इस तरह के मामलों में किस हद तक दखल दे सकता है.
इसलिए उच्चतम न्यायालय ने मामले की जटिलता को देखते हुए कहा कि, बेहतर होगा कि तीन जजों की बेंच साल 2013 में दिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा करे. उस फैसले में अदालत ने ऐसी घोषणाओं को करप्ट प्रैक्टिस नहीं माना था.
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