दिलेर समाचार, नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस के फैलने की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए देशभर में लॉकडाउन (Lockdown) लगा दिया. ऐसे में पहले से ही सुस्ती के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) डांवाडोल हो गई. अब लॉकडाउन खत्म होने के बाद धीरे-धीरे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है. इस बीच रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स (Brickwork Ratings) का कहना है कि अर्थव्यवस्था में दिख रहा सुधार (Economic Recovery) स्थायी नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई-सितंबर 2020 में इंडियन इकोनॉमी में 13.5 फीसदी गिरावट आ सकती है. वहीं, पूरे वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान इकोनॉमी 9.5 फीसदी घट सकती है.
8 साल की सबसे ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई
ब्रिकवर्क की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार (Central Government) की ओर से तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर देश की अर्थव्यवस्था में लगातार सुधार की स्थिति बने रहना मुश्किल होगा. अगस्त 2020 में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 52 फीसदी थी, जो सितंबर में बढ़कर 56 फीसदी पर पहुंच गई. यह 8 साल में सबसे अधिक है. सितंबर 2020 में जीएसटी कलेक्शन 95,480 करोड़ रुपये हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3.8 फीसदी ज्यादा है. पैसेंजर व्हीकल्स की बिक्री में 21 फीसदी बढ़ोतरी हुई है. रेलवे ट्रैफिक में भी 15 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है. इंजीनियरिंग गुड्स, पेट्रोलियम प्रोडक्ट, दवा और रेडीमेड गारमेंट्स के निर्यात में 5.3 फीसदी वृद्धि हुई.
नए प्रोजेक्ट्स में निवेश में दर्ज की गई है गिरावट
देश की अर्थव्यवस्था के कई सेक्टर्स के प्रदर्शन में बढ़ोतरी के बाद भी रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स का कहना है कि यह सुधार कुछ ही समय के लिए है. चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में पिछले साल के मुकाबले नए प्रोजेक्ट्स पर कैपिटल एक्सपेंडिचर (Capital Expenditure) 81 फीसदी तक गिरा है. इससे साफ है कि निवेश (Investment) में गिरावट हुई है. इसके अलावा अगस्त 2020 में कोर सेक्टर ग्रोथ निगेटिव 8.5 फीसदी (Negative Growth) चली गई है. गोल्ड (Gold) और कच्चे तेल (Crude Oil) के अलावा सभी वस्तुओं का आयात (Import) भी लगातार कम हुआ है.
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